हरिद्वार से 20 Km दूर स्थित गैंदी कहात गांव में 800 परिवारों के लोगों के आधार कार्ड में उनकी जन्मतिथि एक ही लिख कर आई है. गांव वालों ने बताया कि उन्होंने पहचान के लिए अपने वोटर आईडी कार्ड और राशन कार्ड एक प्राइवेट एजेंसी को दिए थे, जिसे आधार कार्ड बनवाने का काम सौंपा गया था. इसके बावजूद ये चूक हुई है.

ऐसा नहीं है कि इस तरह कि गलती पहली बार हुई है. इलाहाबाद के Kanjasa गांव में भी ये स्थिति उत्पन्न हुई थी. इस गांव के लोगों ने जो आधार कार्ड बनवाए थे, उन सब में उनकी जन्मतिथि 1 जनवरी लिखी हुई थी.

इस तरह लगभग एक हज़ार लोगों की जन्मतिथि एक ही दर्ज हो गयी थी. ये कोई संयोग नहीं, बल्कि तकनीकी गलती थी. लगभग पांच हज़ार की आबादी वाले इस गांव में 1000 लोगों के आधार कार्ड पर गलत जानकारी दे दी गयी थी.

आधार कार्ड न होने पर लोगों को कई सरकारी स्कीमों का लाभ नहीं मिल पाता, जिसके कारण लोग आधार कार्ड बनवा रहे हैं. इस गांव के लोगों कि जन्मतिथि तो एक लिखी ही गयी, इसके अलावा भी कई गलतियां देखी गयी हैं. यहां किसी बुज़ुर्ग कि उम्र 22 साल लिख दी गयी है, तो किसी बच्चे कि 60 साल.

गांव के प्रधान मोहम्मद इमरान ने कहा है कि ये आधार कार्ड बनवाने वाली एजेंसी कि गलती के कारण हुआ है. गांव वालों को डर था कि आधार कार्ड न होने के कारन वो कई स्कीमों का लाभ उठाने से वंचित रह जायेंगे.

इतना सब होने बावजूद, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने इस गलती कि ज़िम्मेदारी लेने से साफ़ इंकार कर दिया है.

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