हमारा देश आज़ाद है लेकिन सड़कें नहीं. वीआईपी कल्चर की हथकड़ियों ने इस पर चलने वालों की रफ़्तार को गुलाम बना रखा है. ये खुलती और बंद होती सिर्फ़ अपने मालिक के इशारे पर हैं. 

ताज़ा उदाहरण चेन्नई का है. इंटरनेट पर एक वीडियो तेज़ी से सर्कुलट हो रहा है, जिसमें दिख रहा है कि एक एंबुलेंस जाम में फंस गई है. 

ऐसा कहा जा रहा है चेन्नई पुलिस ने एंबुलेंस और अन्य लोगों को महज़ इसलिए रोक दिया ताकि वीआईपी काफ़िला बिना किसी परेशानी के आराम से निकल जाए. साथ ही माना जा रहा है कि ये काफ़िला किसी और का नहीं बल्क़ि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई. पलानीस्वामी का था. 

वीडियो के वायरल होने के बाद लोग चेन्नई पुलिस की वीआईपी कल्चर को प्रमोट करने के लिए काफ़ी आलोचना कर रहे हैं. 

हालांकि, चेन्नई पुलिस ने इन आरोपों से इनकार किया है. उनका कहना है कि लॉकडाउन के दौरान ये रेगुलर चेकिंग का हिस्सा था और एंबुलेंस में कोई मरीज़ भी नहीं था. 

‘सीएम ने सामान्य समय में भी ट्राफ़िक को नहीं रोकने के निर्देश दिए हैं. ऐसे में अब रोकने की कोई ज़रूरत ही नहीं है. उल्लंघन रोकने के लिए हर जगह गाड़ियों की जांच की जा रही है. एक जगह एंबुलेंस को महज़ एक मिनट के लिए रोका गया था और उसमें कोई मरीज़ नहीं था.’ 

हालांकि, इस मामले की सच्चाई क्या है, इस पर अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है. लेकिन ये अक़्सर देखने को मिलता है कि कई बार एंबुलेंस को वीआईपी काफ़िले के चलते रोक दिया जाता है. एंबुलेंस के सायरन की आवाज़ सत्ता के हॉर्न के आगे दब जाती है. मरीज़ अंदर तड़पता रहता है लेकिन साहब की ड्यूटी वर्दी के फ़र्ज पर भारी पड़ जाती है.