हर साल संसद में बजट पेश के करने दौरान सरकार रेलवे की दिशा और दशा को सुधारने के लिए करोड़ों रुपयों का आवंटन करती है. इसके बावजूद भारतीय रेल की क्या हालत है, हम अच्छी तरह से वाकिफ़ हैं.
इन सब के बीच एक ऐसा भी रेलवे कोच है, जो रेलवे सहित यात्रियों के लिए नज़ीर बना हुआ है. ख़बरों के मुताबिक, छत्रपति शिवाजी टर्मिनल पर मुंबई से नासिक के बीच चलने वाली पंचवटी एक्सप्रेस के कोच नंबर C3-A/C ने बीते 29 मार्च को अपनी 10वीं सालगिरह मनाई. ये सालगिरह इसलिए भी सुर्ख़ियों में छाई, क्योंकि लोगों के बीच ये C3-A/C को आदर्श कोच के रूप में पहचाना जाता है.
Wow! Decorated Adarsh coach on its 10th anniversary in Panchvati Express today. Thks @arpikas_mumbai @sureshpprabhu @railparishad pic.twitter.com/AuzKtWDL9E
— Rajendra B. Aklekar (@rajtoday) March 29, 2017
आख़िर क्यों कहा जाता है C3-A/C को आदर्श कोच?
रेलवे के मुताबिक, पंचवटी एक्सप्रेस के C3-A/C कोच की गिनती देश के सबसे साफ़ कोच में होती है, जिसे व्यवस्थित बनाये रखने में यात्रियों की अहम भूमिका है. कोच की इस साफ़-सफ़ाई की वजह से इसका नाम ‘लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स’ में भी शामिल किया जा चुका है.
कोच की इस व्यवस्था को बनाये रखने के लिए यात्री कोशिश करते हैं कि इसमें केवल वही लोग सफ़र कर सकें, जिनके पास मासिक पास हो. इस कोच में रोज़ाना सफ़र करने वाले यात्रियों के नाम एक डायरी में दर्ज़ है. इस सब के अलावा यात्री ज़रूरत न होने पर खुद ही पंखे और लाइट बंद कर देते हैं, जिससे कि कीड़े अंदर न आ सकें. कोच के अनादर ताश खेलना, ड्रिंक करना और तम्बाकू खाना मना है.
इस कोच की शुरुआत
इस कोच की शुरुआत 2007 में Monthly Pass (MST) का इस्तेमाल करने वाले यात्रियों के लिए की गई थी. नासिक के रहने वाले बिपिन गांधी एक ऐसे ही यात्री थे, जो इस पास का इस्तेमाल करते थे. रेलवे में यात्रियों की सहभागिता को सुनिश्चित करने के लिए वो 2001 में पहले ही एक NGO ‘रेल परिषद’ की शुरुआत कर चुके थे.
इस कोच की सफ़लता के बारे में बिपिन का कहना है कि ‘ये राह आसान नहीं थी, क्योंकि रेलवे अधिकारीयों की नज़र में हम सिर्फ़ 44 लोग थे. इतने कम लोगों के लिए रेलवे भी किसी कोच को सिर्फ़ पास का इस्तेमाल करने वाले लोगों को देने के लिए राज़ी नहीं था. फिर भी हमनें हार नहीं मानी और पहली बार 417 लोगों ने मिल कर प्रगति एक्सप्रेस के C3 कोच को अपना परमानेंट कोच बनाया.’
इस कोच के नाम हैं कई अवॉर्ड
इस समय इस कोच में रोज़ाना 400 यात्री सफ़र करते हैं, जिनमें से 50 ऐसे लोग हैं, जो लगातार 10 सालों से इस कोच के साथ जुड़े रहे हैं और अपने काम के प्रति वफ़ादार रहे हैं. ये कोच में यात्रियों का बर्थडे से ले कर एनिवर्सरी का आयोजन भी होता है.
इस कोच के साथ कुछ लोगों की ख़ूबसूरत यादें भी जुड़ी हुई हैं, जिनमें से एक नाम श्याम और सारिका जाधव का है, जिनकी शादी इसी कोच में पूरे रीति-रिवाज़ के साथ की गई थी. उनकी शादी को ‘लिम्का ईयर बुक’ ने भी ट्रेन में हुई पहली शादी का ख़िताब दिया था.