फ़ेसबुक पोस्ट, Memes के लिए भारत में कई लोगों को हिरासत में लिया गया है.
हांसदा के केस पर काम करने वाले एक वक़ील ने Huffington Post को बताया कि उन्हें शक़ है कि बीजेपी आदिवासियों के वोट गंवाना नहीं चाहती थी, इसलिए गिरफ़्तारी चुनाव के बाद की गई.
हांसदा के पोस्ट पर 2017 में ही ‘जनरल डायरी’ की गई थी. शिकायत पर जांच करने के बाद सांकची पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर अनिल कुमार सिंह ने हांसदा के खिलाफ़ FIR दर्ज की. हांसदा के वक़ील का कहना है कि उसे पुलिस स्टेशन में बुलाया गया पर अरेस्ट नहीं किया गया.
हांसदा की पत्नी माही सोरेन से भी Huffington Post ने बात की. माही ने बताया कि उन्हें किसी भी तरह की धमकी नहीं मिली थी बस हांसदा के विरुद्ध शिकायत दर्ज की गई थी.
‘हमसे किसी ने संपर्क नहीं किया पर कॉलेज को एबीवीपी की तरफ़ से चिट्ठी भेजी गई.’
-माही सोरेन
Huffington Post ने सांकची पुलिस स्टेशन जाकर पूरी ख़बर की पड़ताल की. वहां एक पुलिसवाले ने बताया,
वो कई महीनों से फ़रार था. हमें टिप मिली और हमने उसे गिरफ़्तार कर लिया. ये एक पुराना केस है.
हांसदा की पत्नी ने इसके ठीक विपरीत बात कही.
पुलिस हमारे घर आती थी और उसके बारे में पूछती थी. वो ऐसे ही समय पर आती थी जब हांसदा घर में नहीं होता था. कुछ दिन बाद उसे पुलिस ने फ़रार घोषित कर दिया. वो हांसदा को सरेंडर करने को कह रहे थे पर वो लड़ना चाहता था.
-माही सोरेन
शनिवार को हांसदा सांकची में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे थे. वो अपने कुछ दोस्तों के साथ होटल में रुके थे और तभी पुलिस ने आकर उसे अरेस्ट कर लिया था.