हमारे देश में सिविल सर्विसेज़ की नौकरी सबसे इज़्ज़तदार नौकरी मानी जाती है. नाम के साथ आईएएस, आईपीएस, आईएफ़एस या फिर इस श्रेणी की कोई भी रैंकिंग जुड़ जाये, तो उस व्यक्ति को सभी सम्मान की नज़रों से देखते हैं. यूं तो ब्यूरोकैट्स को अब नेताओं की हाथों की कठपुतली समझा जाता है, पर अब भी कई ऑफ़िसर हैं जो ख़ुद को जनता का सेवक मानते हैं, न कि नेताओं का.

प्रदीप कासनी भी ऐसी ही एक शख़्सियत हैं. प्रदीप ने 34 वर्षों तक इस देश की सेवा की और ईमानदारी के कारण उनका 71 बार तबादला भी हुआ. पर पिछले 6 महीनों से वे बिना सैलरी के गुज़ारा कर रहे हैं.

कारण? उनकी पोस्टिंग एक ऐसे डिपार्टमेंट में की गई, जिसमें पिछले 10 सालों से कोई काम नहीं हुआ. सेवानिवृत्त ऑफ़िसर, प्रदीप की पिछली पोस्टिंग OCD(Officer On Special Duty) के तौर पर हरियाणा लैंड यूज़ बोर्ड में की गई. सरकारी दस्तावेज़ों के अनुसार इस डिपार्टमेंट में अब काम-काज नहीं होता.

News 18 की ख़बर के अनुसार,

लैंड यूज़ बोर्ड जोएन करने के दौरान, प्रदीप ने राज्य सरकार के अधिकारियों से ये पूछा था कि उनके दफ़्तर में कर्मचारी क्यों नहीं हैं? जब उन्हें अपने सवालों का कोई जवाब नहीं मिला तब उन्होंने आरटीआई डाली. अब हरियाणा सरकार ने इस बात को स्वीकारा है कि ये लैंड यूज़ बोर्ड 2008 में ही बंद कर दिया गया था.

प्रदीप ने अब Central Administrative Tribunal का दरवाज़ा खटखटाया है. प्रदीप के केस का फ़ैसला 8 मार्च को आयेगा.

प्रदीप ने कहा है कि वो अन्याय के खिलाफ़ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे.

प्रदीप ने अपने 34 सालों के कार्यकाल के दौरान समाज की भलाई के लिए कई कार्य किए हैं. प्रदीप कासनी, अशोक खेमका का समर्थन करते हैं. ये दोनों ऐसे अफ़सर हैं जो सरकार के खिलाफ़ जाने की सज़ा भुगत रहे हैं.

हम सिर्फ़ उम्मीद कर सकते हैं कि प्रदीप को उनका हक़ मिले