बिहार के बाद अब आंध्र प्रदेश सरकार ने भी मोदी सरकार के नए एनपीआर (राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर) को पूर्णरूप से लागू करने से इंकार कर दिया है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने एनपीआर (राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर) को साल 2010 की तरह ही कराए जाने की वकालत की है.
बीते मंगलवार सीएम जगनमोहन रेड्डी ने को कहा कि इस बार एनपीआर (NPR) में कुछ सवाल शामिल किए गए हैं, जिनके कारण राज्य के अल्पसंख्यकों के मन में असुरक्षा की भावना उत्पन्न हो रही है. इसलिए उन्होंने पुराने एनपीआर को ही लागू करने का फैसला किया है.
वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख जगनमोहन रेड्डी ने ट्वीट कर कहा कि, एनपीआर में प्रस्तावित कुछ सवाल अल्पसंख्यकों के दिमाग में संदेह उत्पन्न कर रहे हैं. इस वजह से हमने पार्टी के भीतर विस्तृत विचार-विमर्श किया और इसके बाद हमने केंद्र सरकार से अनुरोध करने का फैसला लिया है. इसको लेकर राज्य सरकार आगामी विधानसभा सत्र में एक प्रस्ताव भी पेश करेंगी..
To this effect, we will also introduce a resolution in the upcoming assembly session. (2/2)
— YS Jagan Mohan Reddy (@ysjagan) March 3, 2020
दरअसल, कई राज्यों ने एनपीआर के नए फ़ॉर्मेट को अपने यहां लागू करने से साफ़ मना कर दिया है. इसलिए केंद्र सरकार उन राज्यों से विचार-विमर्श कर रही है जिन्हें एनपीआर को लेकर आशंकाए हैं.
बीते मंगलवार को केंद्र सरकार ने कहा कि एनपीआर फ़ाउंडेशन की प्रक्रिया के दौरान प्रत्येक परिवार और व्यक्ति के जनसांख्यिकीय आंकड़े और अन्य विवरण एकत्रित किये जा रहे हैं. इस प्रक्रिया में लोगों से किसी भी तरह का अलग दस्तावेज नहीं लिया जायेगा.