फ़र्ज़ कीजिए कि बारहवीं बोर्ड में आपकी 99.9 पर्सेंटाइल होती! इस स्थिति में आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या होती? जाहिर है, आप खुशी के मारे पागल हो जाते. देश के किसी भी कॉलेज में पढ़ने का आपका सपना पूरा हो सकता था और आपके लिए देश-दुनिया की अपार संभावनाएं मौजूद रहतीं.
लेकिन मनुष्य होने की खूबसूरती ही यही है कि हर इंसान एक-दूसरे से बेहद अलग सोच सकने की क्षमता रखता है. भले ही इतने मार्क्स पाकर दुनिया के ज़्यादातर साधारण लोग अपने करियर के प्रति और भी ज़्यादा सतर्क हो जाते, लेकिन 99.9 प्रतिशत मार्क्स लाने वाला नौजवान आखिर साधारण कैसे हो सकता है? दुनिया की माया से इतर अहमदाबाद के इस शख़्स ने अपने मन की सुनते हुए एक ऐसा रास्ता चुना है, जिसे सुन कर आप अवाक हुए बिना नहीं रह पाएंगे.
जब नतीजे घोषित किए जा रहे थे, तब वर्शिल जिगरभाई शाह राज्य के सबसे ज़्यादा मार्क्स लाने वालों में शामिल था, लेकिन वर्शिल के घर पर माहौल एकदम सामान्य था. दरअसल, इस 17 साल के नौजवान ने डॉक्टर या सीए बनने का नहीं, बल्कि एक जैन मुनि बनने का फ़ैसला किया है.
शाह गुरुवार को सूरत में सैंकड़ों जैन मुनियों की मौजूदगी में दीक्षा लेने जा रहे हैं. वर्शिल ने बताया कि उसके गुरु कल्याण रत्नाविजयसुरी महाराज ने उन्हें इस पथ पर चलने की प्रेरणा दी. उन्होंने कहा कि जब मैं उनके साथ समय बिताता हूं और समकालीन मुद्दों पर उनके विचार और जैन धर्म की प्रासंगिकता के बारे में सुनता हूं तो मेरा मुनि बनने का निश्चय और भी दृढ़ हो जाता है.
वर्शिल के अनुसार, दुनिया में करोड़ों लोग खुशियां ढूंढने के लिए भौतिकवादी चीज़ों का सहारा ढूंढते हैं लेकिन वह आपको ज़िंदगी में सच्ची खुशी प्रदान नहीं कर सकता. वर्शिल के गुरु अब 32 साल के हो चुके हैं लेकिन उन्होंने वर्शिल की उम्र के दौरान ही दीक्षा ली थी.
वर्शिल का बचपन से ही धार्मिक गतिविधियों की तरफ़ काफ़ी झुकाव था. ये भले विश्वास करने लायक न लगे, लेकिन जब वर्शिल चार साल का था तभी से उसने प्रण कर लिया था कि बड़ा होकर एक जैन मुनि बनेगा. नवकार पब्लिक स्कूल में पढ़ने वाले वर्शिल के अंकल ने बताया कि उन्हें वर्शिल के हैरतअंगेज़ नंबरों से बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं है. वो अपने नंबरों को लेकर पूरी तरह से बेपरवाह है. उसने अभी तक अपनी मार्कशीट को भी स्कूल से प्राप्त नहीं किया है.
खास बात ये है कि वर्शिल के माता-पिता भी उसके इस फ़ैसले का पूरी तरह से समर्थन करते हैं. वर्शिल और उसके परिवार वाले ध्यान केंद्रित करने की क्षमता के लिए जैन धर्म के अनुयायियों को ही श्रेय देते हैं. वर्शिल के पिता जिगरभाई इंकम टैक्स डिपार्टमेंट में ऑफ़िसर हैं. वहीं बड़ी बहन और मां अमिबेन शाह समेत पूरा परिवार हमेशा से ही जैन धर्म की शिक्षाओं का पालन करता आया है.
वर्शिल का मकसद बिना किसी को नुकसान पहुंचाए दुनिया में शांति की खोज तक पहुंचना है. वर्शिल का मानना है कि वे किसी बिज़नेस और नौकरी के सहारे ऐसा कर ही नहीं सकते हैं. इसलिए वे जैन मुनि का मार्ग अपनाने जा रहे हैं. गौरतलब है कि गुजरात के सूरत में ये दीक्षा समारोह गुरुवार को सुबह 6 बजे शुरु होगा. यहां जैन आचार्य कल्याणवर्तनाविजय जी और विजयनरचंद्रसुरी जी हिस्सा लेंगे और इस नौजवान को आशीर्वाद देंगे. इस समारोह में हज़ारों जैन अनुयायियों के पहुंचने की उम्मीद है.