गुजरात हाई कोर्ट द्वारा राज्य सरकार की धार्मिक यात्रा को लेकर दायर याचिका रद्द किए जाने के बाद मंगलवार को अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ मंदिर परिसर में ही प्रतीकात्मक तौर पर रथ यात्रा आयोजित की गई.
कोरोना वायरस के कारण 143 साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि यह विश्व प्रसिद्ध यात्रा मंडलियों, झांकियों और लोगों के बिना आयोजित की गई.
भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलराम की यात्रा शुरू करने से पहले मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कल सुबह सोने की झाड़ू से सड़क साफ़ करने की पारम्परिक रस्म ‘पाहिंद विधि’ पूरी की. इस रस्म के लिए सीएम की पत्नी अंजलीबेन रूपानी भी उनके साथ थीं.
Gujarat: Chief Minister Vijay Rupani arrives at Shree Jagannathji Temple in Ahmedabad for #RathYatra, to be held inside temple premises. pic.twitter.com/911BVjebW4
— ANI (@ANI) June 23, 2020
इसके बाद शहर के जमालपुर क्षेत्र में भगवान जगन्नाथ मंदिर परिसर में ही भव्य उत्सव के बिना एक प्रतीकात्मक यात्रा शुरू हुई.
यह भगवान जगन्नाथ की 143वीं रथ यात्रा है, और पहली बार ऐसा हुआ है कि कोई जुलूस कुछ नहीं, बेहद ही सामान्य.
मंदिर के ट्रस्टी महेंद्र झा ने कहा, कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए मंदिर परिसर में भी बेहद कम लोगों को ही आने की अनुमति है.
Greetings on the occasion of #RathYatra.
— Vijay Rupani (@vijayrupanibjp) June 23, 2020
May Lord Jagannath bestows upon us peace, prosperity & overall happiness.
Jai Jagannath… pic.twitter.com/R5vttlTqKO
मुख्यमंत्री का ये भी कहना था कि उनकी सरकार रथ यात्रा के मार्ग पर कर्फ़्यू लगाने को भी तैयार थी ताकि लोगों की भीड़ के बिना और जान को ख़तरा हुए ये यात्रा हो सके.
परंपरा के अनुसार, खलासी समुदाय के लोगों ने मंदिर परिसर के अंदर ही रथों को खींचा.
हाई कोर्ट ने देर रात सुनाए एक फैसले में रथ यात्रा पर रोक लगाने के अपने पूर्व आदेश को बदलने से मना कर दिया था और परिसर के अंदर बिना भव्य जुलूस के एक प्रतीकात्मक यात्रा निकालने को कहा था.