पिछले शनिवार से हर मीडिया चैनल, अखबार और ऑनलाइन पोर्टल पर इंडियन एयर फ़ोर्स के पूर्व मार्शल अर्जन सिंह के देहांत की ख़बर दिखाई जा रही है. 98 वर्षीय अर्जन सिंह की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी. अर्जन सिंह अपने आप में किसी इतिहास से कम नहीं थे, वो इतिहास जिसमें शौर्य की एक लम्बी कहानी लिखी हुई है. इतिहास के पन्नों से आज हम मार्शल अर्जन सिंह के कुछ ऐसे फैक्ट्स ले कर आये हैं, जो उन्हें सदी का सच्चा महानायक बनाते हैं.

अजर्न सिंह एकलौते ऐसे अफ़सर थे, जो चीफ़ ऑफ़ एयर स्टाफ़ बनने के बावजूद विमान उड़ाते रहे और अपनी फ्लाइंग कैटेगरी को बरकार रखा.

एयर फ़ोर्स स्टेशन, पानागढ़ का नाम अर्जन सिंह के नाम पर है. ये अकेला ऐसा एयर फ़ोर्स स्टेशन है, जिसका नाम किसी पूर्व अफ़सर को समर्पित है.

द्वितीय विश्व युद्ध के समय अर्जन सिंह ब्रिटेन की तरफ़ से बर्मा में जापानी आर्मी के ख़िलाफ़ लड़े थे.

अर्जन सिंह को सबसे लम्बे समय तक दो बार किसी ऑपरेशनल कमांड का AOC (Air Officer Commanding) बनाया गया था. वो 1949 से 1952 तक इंडियन एयर फ़ोर्स की कमान संभालने के बाद दोबारा 1957 से 1961 तक AOC बने.

अर्जन सिंह इंडियन एयर फ़ोर्स के एकलौते ऐसे ऑफ़िसर रहे हैं, जिन्हें 5-स्टार रैंक दिया गया.

1965 भारत-पाक युद्ध में दिए गए योगदान के लिए भारत सरकार की तरफ़ से उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.