Amar Jawan Jyoti: भारत के प्रमुख ऐतिहासिक धरोहरों में से इंडिया गेट (India Gate) युद्ध स्मारक के तौर पर जाना जाता है. इसकी स्थापना सन 1921 में राजपथ पर की गई थी. इस ऐतिहासिक स्मारक को ‘प्रथम विश्व युद्ध’ और ‘एंग्लो-अफ़ग़ान युद्ध’ में शहीद होने वाले भारतीय सैनिकों की श्रद्धांजलि के रूप में बनाया गया था. साल 1971 के ‘भारत-पाक युद्ध’ के बाद ‘इंडिया गेट के नीचे अमर जवान ज्योति (Amar Jawan Jyoti) का निर्माण किया गया था. ‘अमर जवान ज्योति’ हर उस सैनिक को सलाम करती है जिसने भारत के लिए अपनी जान क़ुर्बान की. इसीलिए इसे ‘अमर जवान ज्योति’ नाम दिया गया है.
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अमर जवान ज्योति (Amar Jawan Jyoti) की ख़ास बात ये है कि पिछले 50 सालों से ये ज्वाला लगातार जल रही है. अमर जवान ज्योति के चारों तरफ़ 4 कलश रखे हैं जिनकी लौ कभी नहीं बुझती. लेकिन केवल 1 कलश की ज्योति ही सालभर जलती है. हर साल ‘गणतंत्र दिवस’ और ‘स्वतंत्रता दिवस’ के मौके पर चारों कलश की ज्योति प्रज्जवलित की जाती है. साल 2006 तक ‘अमर जवान ज्योति’ को जलाए रखने के लिए लिक्विड पेट्रोलियम गैस (LPG) का इस्तेमाल किया जाता था. लेकिन सेफ़्टी को देखते हुए बाद में पाइप्ड नैचरल गैस (PNG) इस्तेमाल किया जाने लगा.
अमर जवान ज्योति (Amar Jawan Jyoti)
अमर जवान ज्योति (Amar Jawan Jyoti) की सुरक्षा में हमेशा सैनिक तैनात रहते हैं. चौबीसों घंटे थल सेना, वायुसेना और नौसेना के जवान इसकी रक्षा करते हैं. तीनों सेनाओं के ध्वज भी ज्योति के पास मौजूद रहते हैं. विजय दिवस पर तीनों सेनाओं के प्रमुख यहां माल्यार्पण करते हैं.
क्यों लिया गया ये फ़ैसला?
पिछले 50 सालों से ‘इंडिया गेट’ पर लगातार जल रही ‘अमर जवान ज्योति’ की ज्वाला अब लोगों देखने को नहीं मिलेगी. दरअसल, ‘अमर जवान ज्योति’ का विलय राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial) में स्थित ‘अमर जवान ज्योति’ में कर दिया गया है. इसी के साथ ‘अमर जवान ज्योति’ का 50 साल का ऐतिहासिक सफ़र भी ख़त्म हो गया है. दरअसल, इंडिया गेट पर अंकित नाम केवल उन्हीं शहीदों के हैं, जिन्होंने ‘प्रथम विश्व युद्ध’ व ‘एंग्लो-अफ़ग़ान युद्ध’ में अंग्रेज़ों के लिए लड़ाई लड़ी थी. लेकिन 1971 से पहले और बाद के युद्धों में शहीद हुये भारतीय जवानों के नाम ‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’ में रखे गए हैं. इसीलिए सभी शहीदों को एक साथ श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए ‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’ को चुना गया है.
चलिए जानते हैं ‘इंडिया गेट’ स्थित ‘अमर जवान ज्योति’ के बारे में वो ख़ास बातें जो शायद कम ही लोगों को मालूम होगी-
1- सन 1921 में राजपथ पर ‘इंडिया गेट’ को ‘वॉर मेमोरियल’ के रूप में स्थापित किया गया था. इसे सर एडविन लुटयंस ने डिज़ाइन किया था. सन 1971 में यहां पर ‘अमर जवान ज्योति’ की स्थापना से ‘इंडिया गेट’ के नीचे से गाड़ियां गुजरा करती थीं.
2- अमर जवान ज्योति दिसंबर 1971 में बनाई गई थी. 26 जनवरी 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसका उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने ‘गणतंत्र दिवस’ के मौके पर जवानों को श्रद्धांजलि दी थी. तभी से ‘अमर जवान ज्योति’ लगातार जलती आ रही है
3- साल 1972 से प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के लिए राजकीय अवसरों पर इसका दौरा करने की प्रथा रही है. इसीलिए हर साल ‘गणतंत्र दिवस’ के मौके पर परेड शुरू होने से पहले भारत के प्रधानमंत्री देश के तीनों सेना प्रमुखों के साथ शहीदों के सम्मान में ‘अमर जवान ज्योति’ का दौरा करते हैं.
4- ये तस्वीर 15 दिसंबर 1972 की है. जब 1971 के ‘भारत-पाक युद्ध’ में शहीद हुए सैनिकों की विधवाएं उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंची थीं.
5- ‘अमर जवान ज्योति’ ने इमरजेंसी का वो दौर भी देखा जब लोगों ने तत्कालीन सरकार का विरोध किया था.
6- 10 मार्च 1988 को ‘इंडिया गेट’ पर स्थित ‘अमर जवान ज्योति’ पर बैठक करते भूतपूर्व सैनिक.
7- ‘अमर जवान ज्योति’ ने साल 2012 में ‘निर्भया कांड’ का विरोध करते लोगों का ग़ुस्सा भी देखा.
8- ‘अमर जवान ज्योति’ पर लोगों ने मोमबत्ती जलाकर भारतीय सेना के शहीद अधिकारी लेफ्टिनेंट उमर फैयाज को श्रद्धांजलि दी.
9- पुलवामा अटैक में शहीद हुए 40 भारतीय जवानों के सम्मान में जब ‘अमर जवान ज्योति’ पर लोगों ने आतंकियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की मांग की.
10- दिल्ली में समय-समय पर आयी धूल भरी आंधी में भी ‘अमर जवान ज्योति’ टस से मस हुई और लगातार जलती रही.
11- इंडिया गेट पर रोजाना आते सैकड़ों पर्यटकों को अब ‘अमर जवान ज्योति’ की ज्वाला जलती हुई नज़र नहीं आएगी.
देश के सभी शहीद जवानों को हमारा सलाम.
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