देश में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. स्वास्थ्य व्यवस्था पर दबाव भी पहले की तुलना में काफ़ी बढ़ गया है. ऐसे में संक्रमित मरीज़ों को इसका ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ रहा है. असम के कामरूप जिले में तो कोरोना मरीज़ इस कदर ग़ुस्से में आ गए कि उन्होंने जबरन कोविड केयर सेंटर से बाहर निकलकर नेशनल हाईवे 31 को ब्लॉक कर दिया. उनका आरोप है कि मरीज़ों के खाने-पीने का इंतज़ाम ठीक से नहीं किया जा रहा है.   

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मरीज़ों का आरोप है कि उन्हें भोजन और पानी उपलब्ध नहीं कराया गया. बिस्तरों की स्थिति भी बहुत ख़राब है. साथ ही एक कमरे में 10 से 12 मरीज़ों का रखा जा रहा है. ऐसे में 100 के क़रीब नाराज़ कोरोना संक्रमित मरीजों ने नेशनल हाईवे ब्लॉक कर दिया.  

अधिकारियों ने बताया कि जैसे ही इस घटना की जानकारी मिली तुरंत ही कामरूप के डिप्टी कमिश्नर कैलाश कार्तिक पुलिस के साथ चंगसारी फ़ैसिलिटी पहुंच गए. उन्होंने मरीज़ों को हाईवे से हटने और वापस सेंटर पहुंचने के लिए समझाया, ताकि मामला सुलझाया जा सके.  

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एक अधिकारी ने कहा कि क्षेत्र में अभी भी तनाव है. हालांकि, आश्वासन के बाद मरीज़ वापस केंद्र में लौट आए हैं.  

डिप्टी कमिश्नर ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनके आरोपों पर गौर किया जाएगा और उनका हल निकालने का प्रयास किया जाएगा.   

वहीं, इस मामले पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री हेमंत बिस्व शर्मा का कहना है कि अगर मरीज़ कोविड सेंटर फ़ैसिलिटी से ख़ुश नहीं है तो उनके पास होम क्वारंटीन का भी विकल्प है.   

‘हम उन्हें फ़ैसिलिटी में लाए हैं ताकि वे ठीक हो सकें और दूसरों को संक्रमित न करें. यदि वे वहां ख़ुश नहीं हैं, तो वे अंडरटेकिंग पर हस्ताक्षर कर होम क्वारंटीन में रह सकते हैं.’  

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स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि हेल्थ वर्कर्स दिन-रात काम कर रहे हैं. उन पर काम का बोझ बहुत ज़्यादा है, ऐसे में हो सकता है कि कुछ देर हो गई हो.  

उन्होंने बताया कि ‘अन्य राज्यों में टेस्टिंग का भी पैसा लिया जाता है, लेकिन असम में टेस्टिंग से लेकर उनके रहने और खाने तक का पूरा खर्च राज्य सरकार वहन करती है.’  

बता दें, असम में 20 हज़ार से ज़्यादा लोग अब तक कोरोना की चपेट में आ चुके है, जबकि 55 मरीज़ों की मौत हुई है.