यूपी की राजधानी लखनऊ में 19 दिसंबर को पुलिस ने CAA-NRC के ख़िलाफ़ प्रोटेस्ट कर रहे सैकड़ों लोगों के साथ महिला कांग्रेसी कार्यकर्ता सदफ़ जफ़र को भी गिरफ़्तार किया गया था. इस दौरान उनके मारपीट की कई ख़बरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी. 

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मंगलवार को पूर्व IPS एस.आर. दारापुरी और सदफ़ जफ़र समेत 14 अन्य लोगों को CAA-NRC के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शनों में दंगा भड़काने के मामले लखनऊ जेल से रिहा कर दिया गया है. 4 जनवरी को इन्हें 50-50 हज़ार रुपये के मुचलके पर जमानत मिली थी. 

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दरअसल, यूपी में महिला कांग्रेस कार्यकर्त्ता व सोशल वर्कर सदफ़ जफ़र 19 दिसंबर की शाम लखनऊ के परिवर्तन चौक पर सैकड़ों लोगों के साथ CAA का विरोध कर रही थीं. इस दौरान लखनऊ की हज़रतगंज पुलिस ने सदफ़ समेत 34 अन्य लोगों के ख़िलाफ़ FIR दर्ज़ की थी. 

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सदफ़ को गिरफ़्तार करने के पीछे कारण ये भी बताए गए थे कि उन्होंने गिरफ़्तारी से कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर पुलिस के ख़िलाफ़ CAA प्रोटेस्ट के दौरान भेदभाव करने के आरोप लगाए थे. सदफ़ के परिजनों का आरोप है कि पुलिस कस्टडी में सदफ़ के साथ मारपीट भी की गई थी. 

पिछले दिनों ये मामला तब भी गर्मा गया था जब जेल में बंद एस.आर. दारापुरी और सदफ़ जफ़र के परिजनों से मिलने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी लखनऊ में स्कूटी पर सवार होकर पहुंची थी. इस दौरान उन्होंने लखनऊ पुलिस पर उन्हें रोकने और उनके साथ बदतमीजी करने के आरोप लगाए थे. 

गौरतलब है कि यूपी पुलिस ने 19 दिसंबर को लखनऊ में हिंसा भड़काने के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए अनगिनत लोगों को जेलों में बंद किया था, जिनमें 77 वर्षीय कैंसर के मरीज रिटायर्ड IPS एस.आर. दारापुरी और बुजुर्ग मानवाधिकार कार्यकर्ता और रिहाई मंच के प्रमुख मोहम्मद शोएब भी शामिल थे. 

20 दिसंबर से NRC और CAA के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने के आरोप में जेल में बंद उत्तर प्रदेश के पूर्व आईजी एस.आर. दारापुरी, रिहाई मंच के मुखिया मोहम्मद शोएब, रंगकर्मी व सीपीएम से जुड़े दीपक कबीर से मिलने 29 दिसंबर को जेल में मिलने परिजन, मित्र और तमाम सामाजिक-राजनीतिक संगठनों से जुड़े लोग पहुंचे थे. 

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में CAA-NRC के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शनों में तकरीबन 2 दर्जन लोगों की मौत हुई थी.