हैदराबाद से वारंगल जा रहे दो लोगों ने रास्ते में एक बुरा एक्सीडेंट देखा. एक बड़ा लोडर ट्रक एक टू व्हीलर से बुरी तरह भिड़ गया था. दोनों के ड्राइवर घायल हो गए थे, दोनों का बहुत खून बह गया था. ये लोग अपनी कार से उतरे और एम्बुलेंस को कॉल करने लगे. लेकिन एम्बुलेंस को आने में और ड्राइवर को सही जगह पहुंचने में बहुत ज़्यादा टाइम लग गया.

इस इंसिडेंट ने उमाशंकर आदी कोटारु और जगदीश विश्वनाथम को ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि भारत में एम्बुलेंस सर्विस कैसे ठीक हो सकती है. वो इसे कैसे बेहतर कर सकते हैं और इसके बाद जन्म हुआ CallAmbulance सर्विस का. ये सर्विस किसी भी एक्सीडेंट के वक़्त एक्सीडेंट की लोकेशन ट्रैक कर के, व्यक्ति का हेल्थ स्टेटस जान कर वहां जल्द से जल्द पहुंचने के लिए बनी है.

इस सर्विस को शुरू करने के दौरान की गई रिसर्च में ये बात सामने आई कि भारत में एक्सीडेंट से ज़्यादा एम्बुलेंस कॉल हार्ट अटैक विक्टिम्स की तरफ़ से आते हैं और ज़्यादातर मौकों पर किसी मदद के न होने से लोगों की डेथ हो जाती. प्रेगनेंसी के दौरान भी इमरजेंसी कॉल्स आती है लेकिन उनकी संख्या हार्ट फ़ेलियर से कम थी.

CallAmbulance App के साथ Uma और उनकी टीम ने 100K First Responders के नाम से एक डेटाबेस तैयार करनी की पहल की है. इस मुहिम के तहत ड्राइवर्स, ऑफिस जाने वाले और ऐसे लोग जो ज़्यादा ट्रैवल करते थे, उन्हें CPR, फर्स्ट ऐड और बेसिक मेडिकल सुविधा देने की ट्रेनिंग दी गई. 

इन लोगों को इस तरह से तैयार किया जा रहा है कि जहां भी एक्सीडेंट हो, ये उसके आस-पास के रेडियस में रहते हों और फ़ौरन वहां मदद देने पहुंच जायें. ये इसलिए किया जा रहा है ताकि एम्बुलेंस के आने से पहले घायल को ज़रूरी मेडिकल ट्रीटमेंट दिया जा सके.

उमा और उनकी टीम अभी तक ऐसे 250 Volunteers को तैयार कर चुकी है और उनका प्रयास अगले दो साल में पूरे देश में ऐसे Volunteers बनाने का है.

अगर आप भी 100K First Responders के Volunteer बन कर किसी की जान बचाना चाहते हैं, तो यहां Click करें.

Feature Image Source: NDTV