दूर-दराज़ के इलाकों में स्कूल में जगह की कमी के कारण एक ही क्लास में दो-दो कक्षा के बच्चों को पढ़ाया जाता है. इसके चलते बहुत से बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं. स्कूलों में आने वाली इस मुश्किल का हल निकाला है अरुणाचल प्रदेश के लोहित ज़िले ने, जहां पर पुरानी बसों को भी क्लास रूम का रूप दे दिया गया है. 

ये कमाल का आइडिया ज़िले के मजिस्ट्रेट, प्रिंस धवन का hai. ये विचार उन्हें थोवांग गांव के एक स्कूल की विज़िट के दौरान आया था. यहां उन्होंने देखा कि कैसे एक ही कक्षा में छोटी और बड़ी क्लास के छात्र पढ़ रहे हैं. इससे छात्रों और शिक्षकों को कैसी-कैसी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है?

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इस समस्या की उधेड़ बुन करते हुए उन्हें विचार आया कि क्यों न इसके लिए ज़िले में ख़राब पड़ी बसों का इस्तेमाल किया जाए. बस फिर क्या था उन्होंने अपनी सोच को सच कर दिया. 

उनके इस अनोखे आइडिया के चलते अब स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति भी बढ़ गई है, साथ ही बच्चे बड़े आराम से यहां पढ़ भी रहे हैं. वो भी मज़े-मजे़ में. इस क्लास में बच्चे हमेशा उपस्थित रहते हैं. 

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इस बस रूपी स्कूल में सारी सुविधाएं मौजूद हैं. इसमें ब्लैक बोर्ड, टेलब और कुर्सियां भी लगी हैं. इस बस पर Learning Themes की पेंटिंग की गई है. जैसे भारत का नक्शा, शरीर के अंग, स्कूल पहुंचने का रास्ता आदि. 

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इसे एक पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया था. लेकिन इसके सकारात्मक नतीजों को देखते हुए ज़िला प्रशासन ने इसे आगे ज़ारी रखने का फ़ैसला लिया है. इसके लिए बच्चों ने भी अच्छा प्रदर्शन करने का संकल्प लिया है, ताकि उनके लिए ऐसी दूसरी बसों का इंतज़ाम किया जा सके. 

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बस में स्कूल का ये आइडिया कमाल का है. दुर्गम क्षेत्रों में जहां भी ऐसी समस्या है, उन्हें इससे सीख लेनी चाहिए. वैसे भी Learning With Fun से बच्चों का पढ़ने में मन भी लगेगा और छात्रों का भविष्य भी उज्जवल होगा.

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