नोएडा के भट्टा पारसोल का नाम शायद अब भी आपको याद होगा, जहां बिल्डर्स द्वारा किसानों की ज़मीनों को अधिग्रहण करने के बाद उचित मुआवज़ा नहीं दिया गया था. मुआवज़े की रकम बढ़ाने को ले कर गांव के किसान बिल्डर्स के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन करने लगे थे और सड़कों पर उतर आये थे. इस विरोध प्रदर्शन ने एक उग्र आंदोलन का रूप ले लिया था, जिसके बाद इस मुद्दे को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई थी.

ख़ैर ये मामला अभी काफ़ी पुराना हो चुका है, पर इस मामले के सामने आने के बाद लोगों को एक बात बख़ूबी पता चल गई थी कि किसी भी ज़मीन के अधिग्रहण के बाद किसानों को मुआवजे के रूप में अच्छी ख़ासी रकम मिलती है. अरुणाचल प्रदेश में डिफ़ेंस मिनिस्ट्री द्वारा बोमजा गांव के किसानों की कुछ ऐसी ही ज़मीनों का अधिग्रहण किया गया है, जिसके मुआवज़े के रूप में सरकार की तरफ़ से गांव वालों को 40,80,38,400 रुपये दिए गए हैं.

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ख़बरों के मुताबिक, सरकार द्वारा गांव के 31 परिवारों की 200.056 एकड़ ज़मीन का अधिग्रहण किया गया है. इस बाबत प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने गांव के लोगों को बधाई भी दी है. उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रदेश के अंदर विकास की लहर दौड़ेगी.

गांव के 31 परिवारों में से 29 परिवारों को 1,09,03,813.37 रुपये दिए गए हैं. वहीं एक परिवार को 2,44,97,886.79 रुपये मिले हैं, जबकि एक परिवार को मुआवज़े के रूप में 6,73,29,925.48 रुपये भी मिले हैं. इस हिसाब से बोमजा गांव में रहने वाला हर शख़्स करोड़पति बन गया है और ये गांव एशिया का सबसे अमीर गांव बन गया है.

किसानों से ली गई ज़मीन पर इंडियन आर्मी के जवानों के लिए घर तैयार होंगे. इसके साथ ही यहां सेना की एक यूनिट को भी स्थापित किया जायेगा, जो Tawang क्षेत्र में सुरक्षा का ज़िम्मा संभालेगी.

अगर आप इस गांव को देश का सबसे अमीर गांव समझ रहे हैं, तो थोड़ा ठहरिये और गुजरात के माधापुर गांव के बारे में थोड़ा सर्च कीजिये, जहां भी कुछ ऐसा ही माहौल है.