‘ज़माने ने लाख़ बहाने दिये, पर उसने ढीठ बन कर विजय हासिल कर ली…’
हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश की जंबाज़ और होनहार बेटी अरुणिमा सिन्हा की. -40 से -45 डिग्री सेल्सियस तापमान और तेज़ बर्फ़ीली हवाओं को मात देते हुए, अरुणिमा ने अंटार्कटिका के सबसे ऊंचे शिखर माउंट विन्सन पर तिरंगा लहरा देश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया. इस कामयाबी के साथ ही वो ऐसा अनोखा कारनामा करने वाली दुनिया की पहली महिला दिव्यांग पर्वतारोही बन गई हैं.

बीते गुरुवार को अरुणिमा अपनी इस उपलब्धि के बारे में बताते हुए लिखा, ‘इंतज़ार ख़त्म हुआ. आप सभी को ये बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि वर्ल्ड रिकॉर्ड बन चुका है.’ यही नहीं, अरुणिमा अपने कृत्रिम पैरों के सहारे किलिमंजारो (अफ़्रीका), कास्टेन पिरामिड (इंडोनेशिया), किजाश्को और एल्ब्रुस (रूस) आदि पर भी जा चुकी हैं.
Excellent!
Congratulations to @sinha_arunima for scaling new heights of success. She is the pride of India, who has distinguished herself through her hardwork and perseverance. Wishing her the very best for her future endeavours. https://t.co/Fi8GTQ1QVn— Narendra Modi (@narendramodi) January 4, 2019
देश की बेटी की इस कामयाबी पर प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर उन्हें बधाई देते हुए लिखा, ‘अरुणिमा को सफ़लता का नया शिखर छूने के लिए बधाई. वो देश का गौरव है, जिसने अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ता की बदौलत ये मुकाम हासिल किया है. इसके साथ ही भविष्य में उनके प्रयासों के लिए शुभकामनाएं.’

नेशनल लेवल वॉलीबॉल प्लेयर से एक पर्वतरोही बनने की कहानी के बारे में बात करते हुए अरुणिमा ने एक इंटरव्यू में कहा कि 2011 में लखनऊ से दिल्ली आते वक़्त बदमाशों ने उन्हें चलती ट्रेन से धक्का दे दिया था, जिसमें उसने अपना एक पैर खो दिया. इस दौरान अस्पताल में लेटे-लेटे वो पर्वतारोहण के कई लेख पढ़ती रहीं, जिसके बाद उसने पर्वतारोही बनने का दृढ़ निश्चय किया.
देश को तुम पर गर्व है अरुणिमा, यूं ही बुलंदियों को छूती रहो!
Source : Indianexpress