सोशल मीडिया के ज़माने में कोई एक पोस्ट भी आपको आपका ’15 मिनट ऑफ़ फ़ेम’ दिला सकता है. हालिया वर्षों में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं जहां फ़ेसबुक पर केवल एक पोस्ट या केवल एक तस्वीर ने कई लोगों की ज़िंदगियां बदल दी. अब वो भले सकारात्मक तौर पर हो या नकारात्मक ही सही, लेकिन इससे ये ज़रूर साबित हुआ कि सोशल मीडिया का प्रभाव आज दूर-दूर तक है और कई मायनों में ये मेनस्ट्रीम मीडिया को भी पीछे छोड़ चुका है.
फ़ेसबुक पर अगर आप मिज़ानुर रहमान की प्रोफ़ाइल पर जाएंगे तो चाह कर भी उन्हें फ़्रेंड रिक्वेस्ट नहीं भेज पाएंगे क्योंकि कुछ दिनों पहले पोस्ट की गई उनकी एक तस्वीर ने उन्हें रातों रात सोशल मीडिया स्टार बना दिया और वे फ़ेसबुक पर 5000 हज़ार दोस्तों की लिमिट क्रॉस कर चुके हैं.
असम के एयरकता गांव में स्कूल टीचर मिज़ानुर ने 15 अगस्त को एक तस्वीर पोस्ट की थी और बहुत मुमकिन है कि आपने भी इस तस्वीर को देखा होगा.

उन्होंने बताया कि घर पर बिजली न होने के चलते मेरा फ़ोन स्विच ऑफ़ हो गया था. लेकिन मेरे दोस्त ने बताया कि वो पोस्ट वायरल हो रहा है. मैंने जब उसके फ़ोन से अपना फ़ेसबुक अकाउंट लॉग इन किया तो मैं हैरान रह गया. मुझे कई मेसेज और फ़्रेंड रिक्वेस्ट आई हुई थी.
गौरतलब है कि रहमान पीएम मोदी को इसी साल मई में एक पत्र भी लिख चुके हैं. उन्होंने ये पत्र अपने क्षेत्र की खराब सड़कों के सिलसिले में लिखा था.

उन्होंने इस पत्र में लिखा था:
किसी मरीज़ को अस्पताल ले जाने के लिए यहां ढंग की सड़क नहीं है. शहर जाने के लिए 75 किलोमीटर लंबी सड़क है जो इस जगह को नेशनल हाइवे 31 से जोड़ती है. यहां दिन में महज़ दो फेरी चलती है जिसकी वजह से कई बार मरीज़ औऱ उनके घरवालों को घंटों इंतज़ार करना पड़ता है. आखिर ऐसे में हम कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि मरीज़ ज़िंदगा बचेगा? डिजिटल इंडिया के ज़माने में सड़क न होने के चलते किसी इंसान की मौत हो जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. इसलिए हम आपसे गुज़ारिश करते हैं कि क्षेत्र में सड़क निर्माण और नाज़ुक मरीज़ों के लिए इमरजेंसी स्पीड बोट्स का इंतज़ाम कर दिया जाए.
रहमान को अभी भी इस पत्र के जवाब का इंतज़ार है. उन्होंने कहा कि ‘इस क्षेत्र में हर साल बाढ़ आती है और हर साल मानसून के समय स्कूल बाढ़ से प्रभावित होता है. ये हमारे लिए नया नहीं है. लेकिन घुटनों तक पानी भरे होने के बाद भी झंडा फहराना, ये हमने पहली बार किया था. बाढ़ के बावजूद हम झंडा फ़हराना चाहते थे और केवल हम ही नहीं, बल्कि क्षेत्र के कई और स्कूलों ने भी राष्ट्र ध्वज फ़हराया.’

जब ये तस्वीर वायरल हुई थी तो लोगों ने रहमान पर कई सवाल भी उठाए थे. कई लोगों ने पूछा था कि आखिर घुटनों तक भरे पानी में तीसरी कक्षा के बच्चों को साथ लेकर तस्वीर खिंचवाना क्या इन बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं था?
इस पर रहमान ने कहा कि ‘हमने इन बच्चों को ज़बरदस्ती वहां नहीं बुलाया था. बल्कि मैंने तो कहा था कि ये बच्चे उधर न पहुंचे लेकिन ये बच्चे इतने उत्साहित थे कि उन्होंने मेरी एक न सुनी. वैसे भी, यहां हर साल बाढ़ आती है, ऐसे में यहां पर बच्चे छोटी उम्र से ही तैराकी में माहिर हो जाते हैं. ये दोनों बच्चे भी शानदार तैराक हैं.’