हमारे सामने इंसानों द्वारा जानवरों के साथ की जा रही बर्बरता की ही ख़बरें आती हैं. कहीं जानवरों को उनकी खाल, दांत के लिए तो कहीं बिना किसी वजह ही उन्हें मार डालने की ख़बरें मिलती रहती है. इन विचलित कर देने वाली ख़बरों के बीच असम के ज़िला तिनसुकिया से एक ऐसी ख़बर आई है जो उम्मीद देती है.
तिनसुकिया के धुलीजान गांव के लोगों ने इसके बाद जो किया उससे दुनिया के हर शख़्स को सीख लेनी चाहिए. विवेक मेनन ने ट्विटर पर कुछ तस्वीरें शेयर की. धुलीजान गांव के लोगों ने मारे गये 36 गिद्धों का श्राद्ध कर्म किया.
Happy to release 6 Slender billed and 2 White rumped #Vultures in Assam after treatment for unintentional #poisoning. Paid homage to the 36 that died with villagers who had kept a wake ( Shraddh) for vultures. Indian values and challenges in nutshell #conservation pic.twitter.com/DrID0WzF59
— Vivek Menon (@vivek4wild) February 1, 2021
18 जनवरी को पहली बार गिद्धों के मारे जाने के रिपोर्ट्स सामने आए. धुलीजान गांव में और गांव के आस-पास 36 गिद्धों के मृत शरीर पाए गए. इन गिद्धों ने 7 मृत गायों का मांस खाया था, बताया जा रहा है किसी तालाब का पानी पीने से इन गायों की मौत हो गई और मांस खाकर गिद्ध भी मारे गए.
फ़ोरेस्टर, कृष्ण कांत गोगोई ने बताया कि कई NGO के लोग, धुलीजान, बेतोनी, बोड़गोड़ा और तामुली गांवों के सैंकड़ों गांववाले बीते रविवार को मृत गिद्धों को सम्मान देने के लिए इकट्ठा हुए.
गांववालों ने आने वाले दिनों में कई पेड़ लगाने और ऊंचे पेड़ों को संरक्षण देने का निर्णय किया है. गिद्ध ऊंचे पेड़ों पर ही अपना घोंसला बनाते हैं. गांववालों ने ये भी निर्णय लिया है कि अगर किसी पशु या पक्षी की अप्राकृतिक मृत्यु होती है तो जानवर का मालिक उसे दफ़नायेगा ताकि भविष्य में ऐसी घटना न घटे.