अगस्त 1945 में अमेरिका ने जापान के दो शहरों, हिरोशिमा और नागासाकी पर बम बरसाए थे, उस समय 29 साल के Tsutomu Yamaguchi दोनों ही शहरों में मौजूद थे लेकिन इसके बावजूद वे दोनों बार परमाणु हमलों को चकमा देते हुए बच निकलने में कामयाब हुए थे.
ऑस्ट्रेलिया की जूलिया मोनाको की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. वे 26 साल की हैं और पिछले तीन महीनों से वे यूरोप घूम रही हैं. लेकिन इन तीन महीनों में वे तीन बार मौत को चकमा दे चुकी हैं. हाल ही में बार्सिलोना में हुए हमले के दौरान भी घटनास्थल पर मौजूद थी.
जून में जब वे अपने दोस्तो के साथ घूमने निकलीं थी उस समय कुछ अपराधियों ने लंदन अंडरग्राउंड में उन्हें लॉकडाउन किया था. इसके बाद इन लोगों ने Borough मार्केट में लोगों को चाकुओं से घायल भी किया था. हालांकि वे इस हमले से बचने में कामयाब रहीं.
कुछ दिनों बाद ही वे पेरिस के Notre Dame में मौजूद थीं, जब एक मशहूर गिरिजाघर के बाहर एक पुलिस ऑफ़िसर को चाकुओं से गोद कर मारा डाला गया था.
मेलबर्न की रहने वाली जूलिया अपने दोस्त के साथ एक शॉपिंग मॉल में थी, जब ये भयानक हादसा हुआ. जूलिया और उनके दो दोस्त एलाना री़डर और जूलिया रोक्का उस समय Placa de Catalyuna के स्टोर में ही मौजूद थे. हालांकि उन्होंने वैन को तो नहीं देखा लेकिन उन्होंने देखा कि लोग अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे हैं.
उन्होंने कहा कि महज एक क्षण में सब कुछ बदल गया. हर कोई यहां से वहां दौड़ रहा था, बेतरतीब अफ़रातफ़री का माहौल था. लोग अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे थे, चिल्ला रहे थे और हम लोगों को स्टोर के अंदर रहने के लिए कहा गया था.
अगर मैं इस बारे में सोचूं तो सिहरन पैदा होती है. लेकिन आपको हमेशा आगे बढ़ना होता है. मुझे यकीन है कि मेरी मां मुझे फ़ोन कर वापस बुलाना चाहेंगी लेकिन मुझे अब भी यात्रा करने से डर नहीं लगता. मेरा घर जाने का मन नहीं है. मुझे ऐसा लगता है कि मैं यहां रुकना चाहती हूं. अगर मैं यहां से चली जाती हूं, तो ये आतंकी अपने मंसूबों में एक तरह से कामयाब होंगे, जो मैं बिल्कुल नहीं चाहती.
शायद जूलिया जैसे लोगों के लिए ही कहा गया है कि जाको राखे साईयां मार सके न कोय.