इस दुनिया में हर बीमारी का इलाज मिल सकता है, लेकिन हैवानियत का इलाज शायद ही संभव है. हैवानियत जो हर उम्मीद को पैरों तले रौंद देना चाहती है. उम्मीद कि हम एक सभ्य समाज का हिस्सा हैं! ऐसा समाज जो नियम-क़ानून से चलता है और इन्हें तोड़ने वालों को सज़ा होती है, लेकिन सच ये है कि जिन हाथों में न्याय की ज़ंज़ीर सौंपी गई है, वो उसी ज़ंज़ीर से न्याय का गला घोंट देते हैं.  

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तमिलनाडु में पिता-पुत्र की कथित तौर पर पुलिस कस्टडी में मौत का मामला अभी चल ही रहा है कि राज्य में एक और मामला सामने आ गया. तेनकाशी जिले में 25 वर्षीय ऑटो ड्राइवर की अस्पताल में मौत हो गई. आरोप है कि 10 मई को वीराकेरलापुडुर पुलिस स्टेशन में पुलिसवालों ने उसे बेरहमी से मारा-पीटा, बुरी तरह टॉर्चर किया. 47 दिन बाद शनिवार को उसने दम तोड़ दिया. वो पिछले दो हफ़्ते से अस्पताल में भर्ती था.  

कुमारसेन के पिता के मुताबिक़, उनके बेटे ने बताया था कि थाने में दो पुलिसवालों ने उसे बेरहमी से पीटा. Thenewsminute की रिपोर्ट के मुताबिक़, हॉस्पिटल की एडमिशन रिपोर्ट में ज़िक्र है कि कुमारसेन की हालत ठीक नहीं थी और उसे दो दिन से ख़ून की उल्टी हो रही थी.  

कुमारसेन के पिता नवनीतकृष्णन ने बताया कि कुमार को एक ज़मीन विवाद के चलते थाने में बुलाया गया था. उन्होंने कहा, ‘पुलिस ने मेरे बेटे को स्टेशन पर लाठी से दो बार मारा. फिर उन्होंने मुझसे मेरा आधार कार्ड विवरण और उसे रिलीज़ करने के लिए एक पत्र मांगा. मैंने लिखकर पुलिस को दिया और बेटे को वापस ले गया.’  

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नवीनतकृष्णन ने बताया कि अगले ही दिन कुमारसेन ऑटोरिक्शा स्टैंड पर खड़ा था तो एसआई ने फिर से उसे बुलाया. दोनों के बीच यहां पर कहासुनी हुई. इस पर एसआई ने उसका मोबाइल छीन लिया और पुलिस स्टेशन में आकर मोबाइल ले जाने को कहा. अगले दिन जब उनका बेटा थाने पहुंचा तो एसआई और कॉन्स्टेबल ने मिलकर उसे बुरी तरह पीटा. उसे ज़मीन पर लेटने को मजबूर किया. उसकी छाती और शरीर के अन्य अंगों पर लात-घूसों से जमकर पिटाई की.   

कुमारसेन के चाचा मारियाप्पन ने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों ने कुमारसेन के प्राइवेट पार्ट्स पर भी चोट पहुंचाने की कोशिश की.   

इस घटना के बाद कुमारसेन इतना डर गया कि उसने इस बारे में किसी को नहीं बताया. परिवार का कहना है कि बाद में उसे खून की उल्टियां होने लगीं. उसे सुरंदई के अस्पताल ले जाया गया. इसके बाद थिरुनवेली के सरकारी अस्पताल में शिफ़्ट किया गया.  

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इलाज के दौरान डॉक्टरों ने उसके अंदरूनी शरीर में घाव पाए. उसकी किडनी और फेफड़ों समेत अन्य अंगों में चोट के निशान थे. डॉक्टरों के पूछने पर कुमारसेन ने अपने साथ हुई अमानवीय घटना का का ज़िक्र किया, जिसके बाद डॉक्टरों ने पुलिस को सूचना दी. बता दें, 14 जून को पुलिस आई और केस दर्ज किया, लेकिन इसके बावजदू पुलिस ने उनके बेटे के बयान नहीं दर्ज किए.   

हालांकि, परिवार और रिश्तेदारों ने प्रदर्शन कर न्याय की मांग की. लोगों के बढ़ते विरोध को देखते हुए सब-इंस्पेक्टर चंद्रशेखर और सिपाही कुमार के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया है. वहीं, रविवार को कुमारसेन के शव का पोस्टमॉर्टम किया गया और देर शाम उसका दाह संस्कार हुआ.