चालान के दर्द के क़िस्से देश के कोने-कोने से सुनने को मिल रहे हैं, कहीं किसी की गाड़ी की क़ीमत से ज़्यादा चालान कटा तो किसी का लाखों रुपयों का.


चालान न दे पाने की हालत में लोगों ने अपनी बाइक को आग के हवाले तक कर दिया. 

अहमदाबाद के एक ऑटोरिक्शा ड्राइवर के चालान के दर्द की सारी हदें पार हो गईं. शहर के गोमतीपुर इलाक़े के 48 साल के राजू सोलंकी चालान देकर अपनी गाड़ी नहीं छुड़ा पा रहा था. मजबूरी की इंतहा होने पर राजू ने बीते गुरुवार सुबह फ़िनाइल पीकर अपनी जान लेने की कोशिश की.  

One India

अपने परिवार का अकेला कमाने वाले राजू का आरटीओ ने 18000 का चालान काटा था और बीते देढ़ महीने से वो बेरोज़गार है.


Indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक़ राजू ने अपने घर पर फ़िनाइल की कुछ बूंदें पी ली जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया. 

पुलिस ने बताया कि राजू अभी भी आईसीयू में भर्ती है. राजू के परिवारवालों का कहना है कि नए मोटर व्हीकल एक्ट के आने के बाद राजू बहुत परेशान था.  

Financial Express

राजू के बड़े बेटे उज्जवल ने बताया,

‘मेरे पापा की ऑटो Mithakali Six-Road Intersection पर खड़ी थी, जब ट्रैफ़िक इंस्पेक्टर ने उसे ज़ब्त कर लिया. गाड़ी का इंश्योरेंस नहीं था इसीलिए उन्हें 18000 का Memo दे दिया गया. वो पैसे नहीं भर पाए इसीलिए उनकी गाड़ी आरटीओ ऑफ़िस में खड़ी थी. देढ़ महीने तक बेरोज़गार रहने के बाद उन्होंने फ़िनाइल पी ली.’

घटना पर डीसीपी, ट्रैफ़िक तेजस पटेल ने कहा,

‘ऑटोरिक्शा ड्राइवर के पहले के चालान भी होंगे तभी इतने ज़्यादा रुपयों का Memo मिला है.’  

हम उम्मीद करते हैं कि चालान के नाम पर किसी की ज़िन्दगी न चली जाए.