पुणे के एक ऑटोड्राइवर की बेटी रुतुजा भोइते ने कठिन परिस्तिथियों के बावजूद सफ़लता की एक नयी कहानी लिखी है. रुतुजा की सफ़लता समाज के हर उस व्यक्ति के मुंह पर तमाचा है, जो अमीर-ग़रीब और रंग-रूप की वजह से इंसानियत में भेद करता है.

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रुतुजा को थाईलैंड के यूनाइटेड वर्ल्ड कॉलेज (UWC) में पढ़ने के लिए फ़ुल टाइम स्कॉलरशिप मिली है. रुतुजा अपने परिवार की पहली लड़की हैं, जिन्हें विदेश जाने और वहां पढ़ने का मौका मिल रहा है. वो इसी महीने थाईलैंड जाकर अपने इस सपने की शुरुआत करेंगी.

स्कॉलरशिप मिलने के बाद 17 वर्षीय रुतुजा कहती हैं कि ‘मैं वहां पढ़ने के लिए गर्व के साथ जा रही हूं क्योंकि इसके लिए मैंने कड़ी मेहनत की थी. मुझे जो टास्क दिया गया था, मैं उसे सफ़लतापूर्वक पूरा कर पाई इसके लिए मुझे ख़ुद पर गर्व है.’
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रुतुजा के पिता ऑटोड्राइवर हैं और मां ब्यूटी पार्लर में काम करती हैं, इनके परिवार की मासिक आय सिर्फ़ 10 हज़ार रुपये है. इतने कम पैसो में परिवार पालना और बच्चों को पढ़ना हर किसी के लिए आसान नहीं होता.

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रुतुजा के सामने वित्तीय समस्या तो थी ही, लेकिन इससे बड़ी समस्या थी उसका ल्यूकोडरर्मा से पीड़ित होना. वो बचपन से ल्यूकोडरर्मा से ग्रसित हैं. स्कूल से लेकर बाहर के लोग उसकी इस बीमारी की वजह से उसको अपनाते नहीं थे, उससे दुरी बनाये रखते थे. लोगों के इस तरह के व्यवहार के कारण उसे दुःख होता था. लेकिन इन सारी परिस्तिथियों के बावजूद रुतुजा ने हिम्मत नहीं हारी और उसने अपनी पढ़ाई जारी रखी.

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रुतुजा बचपन से ही पढ़ाई में अच्छी स्टूडेंट रही हैं. उन्होंने पुणे नगर निगम के ‘संत गाडगे महाराज अंग्रेजी माध्यमिक विद्यालय से 9वीं तक की पढ़ाई की, इसके बाद पुणे की ‘अवसर अकादमी’ में पढ़ने लगीं. इस दौरान स्कूल ने मेधावी छात्रा के तौर पर रुतुजा को वित्तीय सहायता भी दी.

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मई 2013 में रुतुजा का ‘Teach For India’ के ‘ब्रॉडवे-स्टाइल म्यूज़िकल माया’ के लिए चयन हुआ. इस प्रोग्राम में पुणे के विभिन्न स्कूलों के 30 अन्य बच्चों ने भाग लिया था. रुतुजा ने कहा ‘जबसे मैं माया से जुड़ी तबसे मेरी ज़िन्दगी ही बदल गयी. यहीं से मेरी असली ज़िन्दगी शुरू हुई. यहां आकर मैं नए-नए लोगों से मिलने-जुलने लगी. साथ ही साहस, दया और आज़ादी के असल मूल्य क्या होते हैं वो भी यहीं सीखा.

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इस दौरान रुतुजा ने शिक्षा के असल मूल्य को समझा और साथ ही सीखा कि स्कूल में अच्छे मार्क्स लाना ही सब कुछ नहीं होता. पढ़ाई के साथ-साथ हर स्टूडेंट के लिए एक्स्ट्रा करिक्युलम एक्टिविटीज़ भी बेहद ज़रूरी हैं. बच्चों पर अच्छे मार्क्स लाने का दबाव नहीं बनाया जाना चाहिए.

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इसके बाद रुतुजा ने समय-समय पर ‘Teach For India’ के डिजाइन फ़ॉर चेंज प्रोजेक्ट में भी भाग लिया. जहां उन्होंने कई सामाजिक मुद्दों जैसे यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और यातायात नियमों को लेकर छात्रों के साथ स्ट्रीट प्ले भी किये. रुतुजा को इस दौरान ‘टीच फ़ॉर इंडिया’ के कई Fellows का भी साथ मिला.

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माया प्रशिक्षण के दौरान रुतुजा की मुलाक़ात एक ऐसे छात्र से हुई, जो इटली से अपना UWC कोर्स पूरा करके आया था. रुतुजा भी कुछ ऐसा ही करना चाहती थी लेकिन ये इतना आसान नहीं था. Avasara Academy के उसके टीचर चाहते थे कि वो पहले अपनी 10वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी कर ले.

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UWC में चयन होने से पहले रुतुजा दो चरणों वाली चयन प्रक्रिया में टेस्ट, पर्सनल इंटरव्यू, फ़ैकल्टी इंटरव्यू, टीम बिल्डिंग एक्टिविटी और ग्रुप डिस्कशन के दौर से गुज़री. 29 मार्च 2018 को रुतुजा को इनकी कड़ी मेहनत का फल मिला और उन्हें UWC में चयन की ख़बर मिली. UWC दुनिया भर की विभिन्न पृष्ठभूमि से आये ऐसे छात्रों को एक साथ पढ़ने का मौका देता है, जिनमें एक अलग तरह क टेलेंट होता है.

रुतुजा ‘यूनाइटेड वर्ल्ड कॉलेज’ में दो साल तक जीवविज्ञान, गणित और फ़्रेंच की पढ़ाई करेंगी.

Source: thehindu