सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद के ऊपर अपना फ़ैसला सुना दिया है. विवादित ज़मीन राम जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंप दी गयी है और मुसलिम पक्ष को रखने वाली सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को 5 एकड़ ज़मीन अयोध्या के अंदर ही मुहैया कराई जाएगी. तीसरे पक्ष निर्मोही अखाड़े के दावों को ख़ारिज कर दिया गया है.
कोर्ट ने केंद्र सरकार को मंदिर के लिए 3 महीने के अंदर ट्रस्ट बनाने का आदेश भी दिया गया है.
CJI रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने शनिवार सुबह 10:30 बजे फैसला सुनाया. पांच-सदस्यी संविधान पीठ का फ़ैसला आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के ऊपर आधारित है, जिसमें यह बताया गया है कि बाबरी मस्जिद से पहले उस स्थान पर एक ढांचा हुआ करता था.
कोर्ट ने 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद गिराने को ग़ैरक़ानूनी बताया है और 1949 में मस्जिद के भीतर रामलला की मूर्ती रखने को भी ग़ैरक़ानूनी बताया है. यह फ़ैसला पूरी तरह से विवादित ज़मीन के मालिकाना हक़ के ऊपर आधारित है. सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ज़मीन के ऊपर अपने हक़ को अदालत के सामने साबित नहीं कर पाई.
बता दें कि साल 2010 के सितंबर महीने में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अयोध्या के विवादित 2.77 एकड़ ज़मीन को तीन पक्षकारों- सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान के बीच बराबर बांट दिया था.