भारत में कोरोना वायरस की वैक्सीन अब तक नहीं आई है. चार महीने पहले विश्व के किसी भी देश ने कोविड-19 के इलाज के लिए वैक्सीन का दावा तक नहीं किया था. उस वक़्त बाबा रामदेव और उनकी कंपनी पतंजलि ने कोरोना वायरस की दवा खोजने का दावा करते हुए श्वासारी कोरोनिल किट को लॉन्च किया था. 

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हालांकि, बाद में विवाद के चलते इसे इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर प्रचारित किया जाने लगा. जिसके बाद पतंजलि ने देश-विदेश सभी जगह इस दवा को पहुंचा डाला और इसका पूरा फ़ायदा भी कंपनी को हासिल हुआ. कंपनी के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, लॉन्च के बाद से चार महीनों में 250 करोड़ रुपये की कोरोनिल किट बेची गई है. 

पतंजलि आयुर्वेद ने भारत के साथ-साथ विदेशों में भी कोरोनिल किट बेचे हैं. 18 अक्टूबर तक पतंजलि आयुर्वेद ने लगभग 2.5 मिलियन कोरोनिल किट बेचे थे, जिनकी क़ीमत 250 करोड़ रुपये थी. ये बिक्री ऑनलाइन, ऑफ़लाइन, डायरेक्ट मार्केटिंग, जनरल मार्केटिंग और पतंजलि के देश विदेश में फैले औषधालय और चिकित्सा केन्द्रों के ज़रिए हुई है. 

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गौरतलब है कि जब कोरोना वायरस के इलाज के तौर पर 23 जून को कोरोनिल किट लॉन्च की गई थी, तब इसे लेकर काफ़ी विवाद हुआ था. आयुष मंत्रालय ने इस दवा के विज्ञापन पर फ़ौरन ही रोक लगा दी थी. 

ऐसे में पतंजलि ने अपनी सफ़ाई देते हुए कहा कि ये तो इम्यूनिटी बूस्टर है, कोरोना की दवाई नहीं है. फिर मंत्रालय ने कंपनी को इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर किट को बेचने की इजाज़त दी थी, लेकिन कोरोना किट के तौर पर प्रचारित करने पर रोक लगा दी थी. 

मंत्रालय की अनुमति के बाद पतंजलि ने 250 करोड़ रुपये के 25 लाख किट बेचे हैं.