प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस के बढ़ते ख़तरे को देखते हुए 21 दिन के लिए लॉकडाउन की घोषणा तो कर दी, लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों के इस फैसले से देशभर के ग़रीब और ज़रूरतमंद भुखमरी की कग़ार पर आ गए हैं.  

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कोरोना वायरस के ख़तरे को देखते हुए देशभर के सभी निजी संस्थानों को बंद कर दिया गया है. ऐसे में क़रीब 8 करोड़ दिहाड़ी मज़दूरों का काम ठप हो गया, मालिक ने भी काम से निकाल दिया है. लॉकडाउन के बाद जहां अमीरों और मिडिल क्लास ने अपने घरों में ज़रूरत का सारा सामान भर लिया है. वहीं बिहार, बंगाल और यूपी से दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे महानगरों में रोज़गार की तलाश में आए दिहाड़ी मज़दूरों के सामने खाने-पीने की समस्या खड़ी हो गई है.  

देशभर में 14 अप्रैल तक स्कूल, कॉलेज, मॉल, होटल, रेस्टोरेंट और बाज़ार के साथ ही सड़क, रेल और हवाई यात्रा पूरी तरह से बंद कर दी गयी हैं. पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं चलने जो जहां थे वहीं फंस गए हैं. घर पहुंचने के जुगत में हज़ारों दिहाड़ी मज़दूर सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलने को मजबूर हैं. कोई दिल्ली से नेपाल तो कोई दिल्ली से अलीगढ तक भूखे-प्यासे पैदल जाने को मजबूर हैं. 

इन दिनों सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हो रहे हैं. इन्हीं में से एक बदायूं पुलिस का भी बताया जा रहा है. 300 किमी पैदल चलकर घर पहुंचने जुगत में लगे कुछ ग़रीब दिहाड़ी मज़दूरों को पुलिस द्वारा ‘फ़्रॉग जंप’ करवाई गई. पीठ पर सामान और पेट खाली होने की बावजूद पुलिस इन बेबस लोगों को खाना खिलाने के बजाय उन पर ज़ुल्म करती नज़र आ रही है.  

सच कहूं तो घर पर बैठकर न्यूज़ चैनलों पर इन ग़रीब दिहाड़ी मज़दूरों की बेबसी देख हलक़ से खाना नीचे नहीं उतर रहा है. कोई 3 दिन से भूखा है तो कोई 5 दिन से. कभी कभी मन करता है सबकुछ भूलकर इन बेबस लोगों की मदद के लिए सड़कों पर निकल पडूं.  

एक वीडियो में 10 साल की एक मासूम बच्ची कहती है वो 3 दिन से भूखी है, भूख के कारण उसके पेट और सिर में बहुत तेज़ दर्द हो है. सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर पैरों में इतना दर्द है कि उन्हें ज़मीन पर रखा नहीं जा रहा है.  

ऐसे ही एक अन्य वीडियो में मुंबई से किसी तरह दिल्ली पहुंचे नेपाल के रहने वाले 8 से 10 लोगों का एक ग्रुप भी भूखे प्यासे दिल्ली से क़रीब 700 किमी दूर नेपाल पैदल जाने को मज़बूर है. दुःखद बात ये है कि इस ग्रुप में एक महिला भी है जिसकी गोद में 5 महीने का एक बच्चा भी है. भूखी प्यासी मां के पास बच्चे के लिए दूध तक नहीं है.  

भूख-प्यास से तड़पना क्या होता है इन ग़रीब लोगों को देखकर अंदाज़ा लगाया जा सकता है. ख़ुद को क़िस्मत वाला मानता हूं कि मैं इस तरह की सिचुएशन में नहीं हूं. लेकिन इन लोगों के दर्द को देख मन सिहर उठता है.