सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आज से 65 शराब की दुकानों को सील कर दिया जाएगा. कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा था कि एक अप्रैल से देश में राजमार्गों के 500 मीटर के दायरे में आने वाली शराब की दुकानों, पबों, होटलों और बारों में शराब बेचने की अनुमति नहीं होगी.

उच्चतम न्यायालय ने कई राज्यों की अर्ज़ियों पर शुक्रवार को अहम आदेश पारित कर 15 दिसंबर 2016 के अपने आदेश में संशोधन किया है. जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस एल. एन. राव की सदस्यता वाली पीठ ने कहा कि शराब पीकर गाड़ी चलाने की वजह से होने वाले सडक़ हादसों के मद्देनज़र यह आदेश दिया गया है.

कोर्ट ने साफ़ कर दिया है कि हाईवे के पास शराब की दुकानों पर पाबंदी लगाने वाला फैसला बार, पब और रेस्तरां पर भी लागू होगा, क्योंकि शराब पीकर गाड़ी चलाने से जानलेवा रोड एक्सीडेंट्स होते हैं.

इसके अलावा 20,000 तक की आबादी वाले इलाकों को इस पाबंदी से अलग रखा गया है. बेंच ने कहा कि ऐसी जगहों पर हाईवे से 220 मीटर के दायरे में शराब की दुकानें नहीं होनी चाहिए.

शराब की दुकानों के लाइसेंस की अवधि 31 मार्च से आगे नहीं बढ़ाने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 15 दिसंबर 2016 से पहले दिए गए लाइसेंस 30 सितंबर तक और आंध्र प्रदेश के मामले में 30 जून तक मान्य होंगे.

कई राज्यों में शराबबंदी को लेकर माहौल बना है. बिहार के बाद कई राज्यों में इस की खुल कर मांग हो रही है. झारखंड, छत्तसीगढ़ जैसे राज्यों में भी इस पर चर्चा हो रही है. कई राज्यों में सरकार शराब बेचने का काम अपने हाथ में ले रही है.

ये फ़ैसला गोवा को मुख्य रूप से प्रभावित करने वाला है, जहां 3,000 से ज़्यादा शराब की दुकानें हैं. गौरतलब है कि पर्यटन पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव हो सकता है.

सोचिए कि किसी व्यक्ति की सड़क दुर्घटना में जान चली जाने पर उसके परिवार पर क्या बीतती है. ख़ास तौर पर मरने वाला व्यक्ति यदि परिवार के लिए रोटी कमाने वाला इकलौता व्यक्ति हो. इस तरह के फ़ैसलों से स्थिति में सुधार आ सकता है और दुर्घटनाएं भी कम हो सकती हैं.