बिहार के मुज़फ्फरपुर का नाम देश में सबसे बड़े लीची उत्पादित क्षेत्र के रूप में गिना जाता है, पर इसके साथ ही इस नाम के साथ कई बच्चों की मौत का दाग भी लगा हुआ है. जिसकी असल वजह कई कुछ समय पहले तक डॉक्टरों और प्रशासन के लिए पहेली बनी हुई थी. आंकड़ों के अनुसार 1994 से लेकर 2014, तक करीब 1,000 बच्चे इस अंजान बीमारी की वजह से मौत का शिकार हुए थे.

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पिछले 2 दशकों से हो रही बच्चों की इस मौत का रहस्य सुलझाने के लिए ‘नेशनल सेंटर फॉर डिसीज़ कण्ट्रोल, इंडिया’ और ‘द सेंटर फॉर डिसीज़ कण्ट्रोल, ब्रिटेन’ के वैज्ञानिकों की एक टीम का गठन किया गया, जो 2013 से इस विषय पर काम कर रही थी. हाल ही में वैज्ञानिकों की इस टीम ने मौत की इस वजह का पता लगा लिया है.

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वैज्ञानिकों द्वारा बच्चों की मौत की वजह खाली पेट लीची खाने को बताया है. वैज्ञानिकों ने 2013 में ऐसी ही एक शिकायत के बाद एडमिट हुए 390 बच्चों पर रिसर्च की, जिनमें से 204 बच्चों का ब्लड प्रेशर लो पाया गया था.

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बिहार की 70% आबादी गरीबी रेखा से नीचे है, जिसकी वजह से यहां भुखमरी जैसी समस्या आम है. जिन बच्चों की मौत हुई है, वो भी इसी रेखा से आते हैं. वैज्ञानिकों की रिसर्च के मुताबिक खाली पेट लीची खाने से लो ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है और रात का खाना न लेने की वजह से लीची के ज़रिये शरीर में पहुंचा ग्लूकोज़ जमा होने लगता है. इससे शरीर में मौजूद मेटाबोलिज्म इसे ‘फैटी एसिड’ में बदल देता है.

इससे दिमाग काम करना बंद कर देता है और पेट में जमा टॉक्सिन्स मौत का कारण बन जाते हैं. मुज़फ्फरपुर में हुई मौतों को लेकर वैज्ञानिकों द्वारा इस बात को ठोस प्रमाणों के साथ रखा गया है.