एक बार फिर एक शख़्स की ज़िंदगी हमारी क़ाबिल स्वास्थ्य व्यवस्था के भेंट चढ़ गई. कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में एक 64 वर्षीय व्यक्ति पूरे दिन एंबुलेंस के इंतज़ार में तड़पता रहा, लेकिन उसके पास पहुंची तो सिर्फ़ मौत. वो पूरे दिन दर्द से कराहते रहे, बार-बार 108 पर कॉल करते रहे, ख़ुद को हॉस्पिटल ले जाने के लिए गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन कुछ फ़ायदा नहीं हुआ. उनके आख़िरी शब्द थे कि जब तक एंबुलेंस पहुंचेगी तब तक वो मर चुके होंगे.   

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दरअसल, 13 जून को मृतक के बेटे को अपनी तबीयत ख़राब लगी. वो पड़ोस में ही डॉक्टर के पास जाकर दवा ले आए. डॉक्टर ने ये भी कहा कि उन्हें कोविड-19 टेस्ट की कोई ज़रूरत नहीं है. हालांकि, बाद में उनके साथ-साथ पत्नी की तबीयत भी बिगड़ गई. ऐसे में दोनों ने विक्टोरिया हॉस्पटिल जाकर कोविड टेस्ट कराया. 4 जुलाई को दोनों की टेस्ट रिपोर्ट पॉज़िटिव आई, जिसके बाद उन्हें विक्टोरिया हॉस्पिटल ले जाया गया.   

इस बीच, 2 जुलाई को उनके पिता की तबीयत भी ख़राब हो गई. उन्होंने भी उसी डॉक्टर से दवा ले ली. लेकिन 5 जुलाई को उनकी तबीयत ज़्यादा बिगड़ गई. उन्हें सांस लेने में परेशानी होने लगी. ऐसे में उन्होंने रविवार को एंबुलेंस को कॉल किया जो क़रीब 12 बजे पहुंची. उन्हें लगा कि ये एंबलेंस उन्हें हॉस्पिटल ले जाने आई है. हालांकि, BBMP एंबुलेंस उनके बेटे और बहु की जांच करने आई थी, जिनकी रिपोर्ट पॉज़िटिव आई थी.  

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ऐसे में 64 वर्षीय बुज़ुर्ग़ एंबुलेंसकर्मियों के आगे गिड़गिड़ाने लगे कि वो उन्हें हॉस्पिटल ले जाएं, लेकिन उन्होंने ये कह कर मना कर दिया कि हॉस्पटिल ले जाने के लिए एक अभिभावक ज़रूरत होती है. बुज़ुर्ग़ लगातार सड़क पर खड़े होकर एंबुलेंस हेल्पलाइन पर फ़ोन करत रहे लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ. बाद में शाम को एक पत्रकार के हस्तक्षेप के बाद BBMP अधिकारियों को मदद के लिए बुलाया गया.  

आख़िकार एंबुलेंस क़रीब 8:30 बजे के आसपास पहुंची. उन्हें एंबुलेंस में डालकर ऑक्सीज़न लगाने के कुछ ही मिनटों बाद उनकी मौत हो गई. वहीं, BBMP के एक अधिकारी ने स्पष्ट किया कि ऐसा कोई प्रोटोकॉल नहीं है, जिसके तहत टेस्ट के लिए एक अभिभावक को मरीज़ के साथ जाना आवश्यक हो.