बिहार मे एनआरसी लागू नहीं करने का प्रस्ताव विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित हो गया है. इसके साथ ही बिहार ऐसा करने वाला एनडीए का पहला राज्य बन गया है. इसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है. क्योंकि उन्होंने एक तीर से दो शिकार किये हैं.
बीते मंगलवार को बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन NRC और NPR के मुद्दे को लेकर सदन में ज़ोरदार हंगामा हुआ. इस दौरान बीजेपी के मंत्रियों व विधायकों ने ऐसा मोर्चा संभाला कि नौबत हाथापाई तक की आ गई. बावजूद इसके सीएम नीतीश कुमार ने बीजेपी विधायकों की मौजूदगी में ही विधानसभा में सर्वसम्मति से बिहार में NRC लागू नहीं करने के प्रस्ता़व को पारित करा लिया.
नीतीश कुमार पहले भी कई बार कह चुके थे कि बिहार में एनआरसी किसी हाल में लागू नहीं होने देंगे. आख़िरकार नितीश ने जो कहा था वो करके भी दिखा दिया है.
अब इसे हर कोई मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मास्टर स्ट्रोक कह रहा है. इसके साथ ही नितीश ने बीजेपी के साथ होने के बावजूद उनके सबसे बड़े मुद्दे की हवा निकाल दी है. इसके साथ ही बिहार में NRC का विरोध कर विपक्ष का मुंह भी बंद कर दिया. बिहार ऐसा पहला राज्य बन गया, जहां बीजेपी के सरकार में रहने के बावजूद एनआरसी के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित किया गया है.
इस मुद्दे पर जब बीजेपी से पूछा गया तो उसने इस प्रस्ताव को महज सुझाव करार दिया.
इसके साथ ही बिहार सरकार ने NPR को 2010 के फ़ॉर्मेट पर लागू कराने का प्रस्ताव भी पारित कर लिया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार विधानसभा में कहा कि प्रदेश सरकार ने केंद्र को एनपीआर के फ़ॉर्म में विवादित खंड को हटाने का निवेदन किया है. ज्ञात हो कि बिहार में भाजपा के समर्थन वाली जदयू सरकार है.
पश्चिम बंगाल ने पिछले साल ही एनआरसी के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित किया था. इसके अलावा केरल, पंजाब और राजस्थान भी सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ पहले से ही प्रस्ताव पारित कर चुके हैं.