गर्मी के साथ-साथ देश में आजकल रिज़ल्ट्स का सीज़न चल रहा है. CBSE बोर्ड, ICSE बोर्ड, UP बोर्ड, महाराष्ट्र बोर्ड, बिहार बोर्ड सब कहीं न कहीं एक-दूसरे से Competition करने में लगे हैं कि हमारा बच्चा ज़्यादा इंटेलीजेंट है या हमारा बोर्ड सबसे अच्छा सिलेबस पढ़ाता है. इनमें से किसी को भी इस बात की शायद ही कोई चिंता हो कि बच्चे कुछ सीख रहे हैं या सिर्फ़ नंबर के पीछे ही भाग रहे हैं.
ख़ैर, अब जब बात बोर्ड रिज़ल्ट्स कि हो रही है तो बिहार बोर्ड का रिज़ल्ट्स किसी गज़ब बात के लिए लाइम लाइट में न आये, ऐसे हो ही नहीं सकता. पिछले 2 साल से बिहार बोर्ड के टॉपर्स से रिलेटेड कोई-न कोई बात ज़रूर सबके होश उड़ा ही रही है और इस बार भी ये ट्रेंड चल रहा है.
2016 की बिहार बोर्ड टॉपर रूबी याद है? जिसने अपने स्टेट में टॉप तो किया था, पर बेचारी एक इंटरव्यू में पॉलिटिकल साइंस के बजाय ‘प्रोडिकल साइंस’ बोल बैठी.
बिहार के रिज़ल्ट ने पूरे देश को अपनी तरफ़ फिर आकर्षित किया 2017 में.आर्ट्स स्ट्रीम के टॉपर गणेश कुमार, जो होम साइंस और Music के स्टूडेंट थे, उन्होंने ख़ुद एक इंटरव्यू में ये कहा कि उन्हें ज़रा भी म्यूज़िक नहीं आता है. उन्होंने बताया कि स्कूल ऐसे ही सबको कम-से-कम 60 नंबर तो दे ही देता है. और तो और, इसके बाद गणेश कुमार को गिरफ़्तार भी कर लिया गया था क्योकि वो 1990 में मैट्रिक की और 1992 में 12वीं की परीक्षा दे चुके थे.
और अब एक बार फिर से बिहार का रिज़ल्ट सबके लिए बात करने का एक मज़ेदार टॉपिक बन चुका है. इस बार बिहार सरकार ने बड़े गर्व से अपने टॉपर का नाम बताया, लेकिन फिर से फंस गए. 2018 की बिहार टॉपर कल्पना कुमरी जो इस साल ‘नीट’ की भी टॉपर है. ‘नीट’ के रिज़ल्ट के अगले दिन ही बिहार ने भी अपना टॉपर कल्पना को बता दिया. सारे न्यूज़ चैनल ने इंटरव्यू लिया कल्पना का सब कुछ बिलकुल ठीक लग रहा था. सबको लगा जैसे लगातार 2 साल तक रिजल्ट्स में धांधली कारने के बाद इस बार रिजल्ट एक दम Genuine आया है.
लेकिन बिहार का रिजल्ट्स आयें और कुछ गड़बड़ न पता लगे ये तो हो ही नहीं सकता. कल्पना के टॉपर बनने के बाद कोचिंग इंस्टिट्यूट आकाश ने अपना नया बैनर लगाया, जिसमें फ़र्स्ट टॉपर कल्पना को बताया और साफ़-साफ़ ये भी मेंशन किया कि कल्पना ने आकाश इंस्टिट्यूट से रेगुलर क्लासेज़ ली हैं. अब सवाल ये है कि अगर कल्पना ने दिल्ली में रह कर आकाश से रेगुलर क्लासेज़ ली, जो उन्होंने ख़ुद भी कई इंटरव्यू में बताया है तो उन्होंने बोर्ड की परीक्षा को देने के लिए स्कूल की 75 % अटेंडेंस कैसे पूरी की?
अब इस सवाल के जवाब में ‘बिहार बोर्ड ने बिना पूरी एटेंडेंस के किसी को परीक्षा में बैठने की अनुमति कैसे दे दी?’, बिहार स्कूल परीक्षा समिति के चेयरमैन आनंद किशोर ने कहा कि ‘बिहार के स्कूलों में किसी भी छात्र के लिए न्यूनतम उपस्थिति का कोई प्रावधान नहीं है.’
अब ये तो ख़ुदा ही जाने कि ये सब सिर्फ़ कल्पना को टॉप कराने का क्रेडिट लेने में लगे हैं या असल में भी यही बात है.और हां, Congratulations उन सब को जिनका रिज़ल्ट आया है.