फ़िल्मी पर्दे पर तो आपने कई हीरोज़ को देखा होगा, लेकिन देश में कुछ ऐसे लोग भी मौजूद हैं, जो अपने काम को ईमानदारी से करते हुए आज इस मुकाम तक पहुंच चुके हैं कि उन्हें रियल लाइफ़ हीरो कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी.

37 साल के बीरेंद्र सांगवान भी एक ऐसे ही शख़्स हैं, जिन्होंने अपने प्रयासों से देश के करोड़ों लोगों की ज़िंदगियों को बेहतर बनाने का बीड़ा उठाया है.

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पेशे से वकील सांगवान एक बार अपने दोस्त के भाई को देखने अस्पताल गए थे. उनके दोस्त के भाई की सफ़ल हार्ट सर्जरी हुई थी. अस्पताल पहुंचकर उन्होंने देखा कि धमनियों में लगाई जाने वाली एक तरह की ट्यूब यानि Coronary Stent की कीमत के लिए अस्पताल लाखों रुपए ले रहा था. 

37 साल के सांगवान ने Scoopwhoop News को बताया कि “मुझे ये देखकर बहुत अजीब लगा. न तो उसमें कोई बिल था और न ही इसकी कीमत के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध थी. मेरे दोस्त का भाई उस Coronary Stent के लिए 1 लाख 26 हज़ार रुपये चुका रहा था और मुझे वो कीमत बहुत ज़्यादा लग रही थी.”

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इस मुद्दे पर थोड़ी शुरुआती रिसर्च के बाद, सांगवान ने यूनियन हेल्थ मिनिस्ट्री को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने इस ट्यूब के बेहद महंगे होने की शिकायत की. इसके अलावा उन्होंने एक RTI एप्लीकेशन भी लगाई. सांगवान ने इस आरटीआई में सवाल किया कि मरीज़ों के अंदर फ़िट होने वाली ये Coronary Stents, हेल्थ सेक्टर के कौन से क्षेत्र में वर्गीकृत है. क्या ये स्टेंट्स ड्रग्स के सेक्टर में आती हैं या धातु के क्षेत्र में?

“आरटीआई का जवाब चौंकाने वाला था. इन स्टेंट्स को कस्टम विभाग से छूट प्राप्त थी. यही नहीं आरटीआई से ये भी पता चला कि इन स्टेंट्स को ड्रग्स के सेक्टर में रखा गया था, लेकिन ये किसी भी तरह की कीमत नियंत्रण सिस्टम का हिस्सा नहीं थी क्योंकि इन्हें नेशनल लिस्ट ऑफ एसेंशियल मेडिसिन्स (NLEM) की लिस्ट में शामिल ही नहीं किया गया था. मैंने ही फिर इन स्टेंट्स को इस लिस्ट में शामिल कराया.” बीरेंद्र का जवाब था.

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गौरतलब है कि 2014 में सांगवान ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें Coronary Stents की कीमतों पर नियंत्रण लगाने की बात कही गई थी. जुलाई 2016 में सांगवान को अपनी पहली सफ़लता मिली जब सरकार ने Coronary Stents को 2015 की NLEM लिस्ट में शामिल कर लिया था. इसके छह महीने बाद इन स्टेंट्स को ड्रग्स प्राइज़ कंट्रोल ऑर्डर (DPCO) का भी हिस्सा बना लिया गया.

दो साल से भी लंबे समय तक चले इस संघर्ष में सांगवान को आखिरकार सफ़लता मिल ही गई, जब बीते मंगलवार को सरकार ने जान बचाने वाली Coronary Stents की कीमतों में 85 प्रतिशत कटौती करने का फैसला किया.

सरकार के फैसले के अनुसार, Bare Metal Stents(BMS) की अधिकतम कीमत अब 7,623 रुपये और Drug Eluting Stents(DES) की अधिकतम कीमत 31,080 से ज़्यादा नहीं होगी और इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया जाएगा. गौरतलब है कि पहले एक मरीज़ को BMS के लिए औसतन 45,000 रुपये और DES के लिए 1.21 लाख रुपये चुकाने पड़ते थे.

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गौरतलब है कि Coronary Stent एक ट्यूब की तरह दिखने वाला यंत्र है, जिसे धमनियों में लगाया जाता है ताकि दिल को खून की सप्लाई ठीक ढंग से पहुंचती रहे. भारत में हर साल विभिन्न प्रकार के स्टेंट्स का इस्तेमाल होता है. इनमें से ज़्यादातर स्टेंट्स को विदेशों से मंगाया जाता है.

सांगवान ने पीएम मोदी के उस ट्वीट का भी जिक्र किया, जिसमें पीएम मोदी ने कहा था कि सरकार गरीबों की चिंता करती है और इसलिए दिल की बीमारी से जुड़े खर्चों को घटा रही है, जबकि सच्चाई ये है कि ये दाम केंद्र सरकार की वजह से नहीं, बल्कि सांगवान के प्रयासों से कम हुए हैं.

लेकिन सांगवान परेशान नहीं है कि उनके प्रयासों का क्रेडिट मोदी सरकार ले रही है और न ही उनके लिए ये सफ़लता कोई नई है. वे इससे पहले भी सामाजिक मुद्दों से जुड़ी कई याचिकाएं दायर करते आए हैं. सांगवान ने ज़मीन से जुड़े मुद्दों को उठाने के लिए ही वकालत को अपनाया है.

2016 में एमसीडी कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से दिल्ली को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा था. सांगवान की याचिका ने दिल्ली की हालत को बदतर होने से बचाया था.

वो ये भी चाहते हैं कि सरकार एक सरोगेसी क़ानून बनाएं ताकि महिला और उसके बच्चे की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. नोटबंदी के दौरान भी उन्होंने एक याचिका दायर की थी, जिसमें वो चाहते थे कि सरकार अदालत और शादी में पुराने नोट्स चलाने की इजाज़त दे.

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दिल्ली हाई कोर्ट और रोहिणी जिला कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले सांगवान ने कहा, ‘मैं हफ्ते के दो दिन अपने देश के नाम करता हूं. शुक्रवार और रविवार को मैं अपने जूनियर और अस्सिटेंट्स के साथ पब्लिक से जुड़े मुद्दों के बारे में सलाह मश्विरा करता हूं.’

हरियाणा में सोनीपत के रहने वाले सांगवान के अनुसार, ‘क़ानून के हिसाब से समाज की सेवा करना’ मेरे प्रयासों का मकसद है. सांगवान के माता-पिता अध्यापक है. सांगवान के मुताबिक, उनकी परवरिश ने उन्हें काफ़ी पहले ही समाज में मौजूद मुद्दों पर गंभीरता से सोचने का मौका दिया है. अगर मेरे प्रयासों से कुछ अच्छा होता है, तो मुझे खुशी होती है. मैं चैन की नींद सो पाता हूं.

सांगवान का अगला लक्ष्य घुटनों और हिप के लिए होने वाली सर्जरियों की कीमत नियंत्रण को लेकर रणनीति बनाना है. देश के लोगों के लिए किए जा रहे प्रयासों के लिए बीरेंद्र सांगवान को, ग़ज़बपोस्ट का सलाम.