नए साल पर जब सारा देश मिल कर जश्न मनाने में जुटा हुआ था, उसी समय भारतीय सेना के जवान सहरद पर घुसपैठ की कोशिश को नाकाम करने में लगे हुए थे. पुलवामा में हुई इस कार्यवाही में CRPF के 5 जवान शहीद हुए, जबकि 3 जवान गंभीर रूप से घायल हुए.

इतने संवेदनशील मुद्दे पर जब भाजपा सांसद नेपाल सिंह से पूछा गया, तो उन्होंने ये कहते हुए इससे पल्ला झाड़ने की कोशिश की कि ‘हर दिन सरहद पर जवान पर मरते हैं. कहीं कोई ऐसा देश भी है, जहां लड़ाई में सेना के जवान न मरते हों!’

इसी के साथ नेपाल सिंह ने आगे कहा कि ‘अगर किसी लड़ाई होती है, तो कोई न कोई ज़ख़्मी ज़रूर होता है. आप मुझे किसी ऐसी डिवाइस के बारे में बता दीजिये, जो जान बचा सके. बताइये कि क्या कोई ऐसी डिवाइस है, जो किसी को गोली से बचा सके.’

हालांकि अपने दिए गए व्यक्तव्य पर बाद में माफ़ी मांगते हुए नेपाल सिंह ने कहा कि ‘मेरे बयान को तोड़-मोड़ कर पेश किया गया है. मेरे कहने का मतलब था कि वैज्ञानिक ऐसी डिवाइस की खोज में जुटे हुए हैं, जो सरहद पर तैनात सैनिकों को सुरक्षा प्रदान कर सके.’

नेताजी के इस बयान का विपक्षी पार्टियों ने जम कर विरोध किया है और संसद से उनके निष्कासन के मांग की है.

ख़ैर ये तो नेता जी थे, इनके सवालों से हमें क्या फ़र्क पड़ता है?क्योंकि हमें तो फ़र्क इससे पड़ता है कि आज प्रधानमंत्री जी घूमने किस देश में गए. हमें इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि आज सरहद पर कितने जवान मरे,हमें तो फ़र्क पड़ता है कि आज क्रिकेट में इंडिया बड़े अंतर से जीत गई.हमें फ़र्क नहीं पड़ता कि हम जाने कि जिस शख़्स को वोट दे रहे हैं वो संसद में जाने लायक है भी या नहीं!हमें इस बात से फ़र्क पड़ता है किवो किस पार्टी से चुनाव लड़ रहा है?मैं कहता हूं कि फ़र्क पड़ता है हर उस चीज़ से फ़र्क पड़ता है, जिससे मुझे और मेरे देश को पड़ता है.

जब एक सैनिक अपने देश के लिए सरहद पर गोली खाता है, तो फ़र्क पड़ता है. एक नागरिक होने के नाते मुझे पड़ता है और आपको भी पड़ना चाहिए.