वायरस की तरह दुनिया भर में फ़ैल रहे ख़ूनी खेल, Blue Whale की चपेट में भारत सहित दुनिया भर के Teenagers आ कर जान दे चुके हैं. अभी तक हम सोच रहे थे कि ये गेम सिर्फ़ बड़े और छोटे शहरों में देखने को मिल रहा है, लेकिन ये गेम नक्सलवाद का दंश झेल रहे दंतेवाड़ा तक पहुंच जाएगा, ये किसी ने नहीं सोचा था.

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छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा से कम से कम 30 बच्चों को इस गेम की पकड़ से छुड़ाया गया है. यहां के ASP, अभिषेक पल्लव ने बताया कि सभी बच्चे इस गेम का लोकल Version खेल रहे थे. इनके हाथों और बांहों पर ब्लेड से Whale बनाने की कोशिश की गयी थी. ऐसा करने के पीछे इन बच्चों के कई मकसद थे, कोई अपने पिता पर ऐसे दबाव बना कर नशे की लत छुड़वाना चाहता था तो कोई उस पर बन रहे शादी के प्रेशर से परेशान था. सभी बच्चों को काउंसलिंग के लिए भेजा जा चुका है, लेकिन इस खेल की पहुंच इन बच्चों तक होना अपने आप में ख़तरे का संकेत है.

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इस खेल को जिस किसी ने भी इन बच्चों तक पहुंचाया था, उसे इनकी कमज़ोरी और हालात का अंदाज़ा अच्छे से था. इन बच्चों को ये लगा था कि ये खेल खेलने ने उनकी सारी परेशानियां दूर हो जाएंगी.

छत्तीसगढ़ का ये इलाका सरकार, सेना और नक्सलियों के बीच चल रही लगातार लड़ाई में इस कदर झुलस चुका है कि यहां विकास की बयार दूर-दूर तक नहीं. यहां के बच्चों की ज़िन्दगी बाकी बच्चों से बिलकुल अलग है, उनके पास शिक्षा का अभाव है. कर्ज़ में डूबे अपने परिवार के मुखिया को वो दारू के नशे में अपनी मां को पीटते हुए देखते हैं. ऐसे हालातों में किसी भी बच्चे की मानसिकता सुसाइडल हो सकती है.

ब्लू व्हेल एक ख़तरनाक और घटिया मानसिकता का खेल है. ये उन बच्चों को अपना निशाना बनाता है, जो किसी परेशानी का सामना कर रहे होते हैं. ये गेम पहले बच्चे का विश्वास जीत कर उन्हें ग़लत काम करने के लिए उकसाता है. इस आखरी स्टेज आत्महत्या है.

आपके परिवार में या जाने में अगर किसी भी बच्चे का बर्ताव आपको खटके तो उससे बात ज़रूर करें, हो सकता है वो इस खेल के चंगुल में फंसा हो. 

Feature Image Source: Tehelka

Source: Hindustan Times