झोलाछाप डॉक्टर्स आपको कहीं भी मिल जाएंगे. इनके पास डिग्री भी होगी, दिखाने के लिए एक्सपीरियंस भी होगा और देने के लिए धोखा भी. ऐसे डॉक्टर्स से धोखा खाये आदमी को ये आसानी से कहा जा सकता है कि उसने अक्ल क्यों नहीं लगाई, लेकिन कई दफ़ा इमरजेंसी में इंसान किसी अपने की जान की परवाह करते हुए, इन बातों को नज़रअंदाज़ कर बैठता है.

झोलछाप डॉक्टरी का एक ये केस कोलकाता का है. बीरभूम के रहने वाले अरिजीत दास की तबियत ख़राब हुई, तो उसके परिवार ने एक नर्सिंग होम से कोलकाता जाने के लिए एम्बुलेंस बुक की. उन्होंने एम्बुलेंस सहित एक डॉक्टर भी रखा, ताकि रास्ते में कोई परेशानी न हो. लेकिन इतनी सावधानी के बावजूद उस बच्चे की मृत्यु हो गयी. ये हादसा न हुआ होता, अगर उस बच्चे के साथ जाने वाला वो आदमी सच में एक डॉक्टर होता.

अरिजीत के परिवार ने जिस नर्सिंग होम से एम्बुलेंस बुक करवाई थी, उसने एक AC मैकेनिक को डॉक्टर बता कर एम्बुलेंस में भेजा था. परिवार ने एम्बुलेंस और डॉक्टर के लिए अलग-अलग 8 हज़ार रुपये भी दिए थे और जब वो लोग उस एम्बुलेंस में बैठने लगे, तो उनसे कहा गया कि उन्हें ख़ुद के लिए दूसरी गाड़ी करनी होगी. बीरभूम से कोलकाता की लगभग 100 किलोमीटर की यात्रा में अरिजीत की ज़िंदगी एक AC मैकेनिक के हाथ में थी. लेकिन उसके पिता किसी तरह ड्राइवर की सीट के पास जगह बनाने में कायाब रहे. उन्हें डॉक्टर पर शक उस वक़्त हुआ, जब उन्होंने उसकी जगह ड्राइवर को ऑक्सीजन सिलिंडर फ़िक्स करते हुए देखा.

अरिजीत के परिवार ने एम्बुलेंस ड्राइवर और उस डॉक्टर के ख़िलाफ़ पुलिस में FIR दर्ज करवाई है और दोनों अभियुक्तों को गिरफ़्तार भी कर लिया गया है. अरिजीत के टेंथ के बोर्ड Exams चल रहे थे और उसे सोमवार से बुखार की शिकायत थी. उसका बुखार कम न होने और पीठ दर्द के कारण, परिवार वाले उसे सीधे बेहतर इलाज के लिए कोलकाता लेकर आ रहे थे. अपनी तरफ़ से हर संभव प्रयास करने के बाद भी इस परिवार ने अपने बेटे को खो दिया.
डॉक्टर्स का प्रोफ़ेशन इतना पूजा जाने वाला इसीलिए होता है, क्योंकि उनकी एक ग़लती से या सही फ़ैसले पर किसी की जान अटकी होती है. लेकिन जब डॉक्टर कोई AC मैकेनिक हो, तो उससे आप क्या उम्मीद कर सकते हैं? अरिजीत की मौत ऐसे ही लोगों के फ़रेब के कारण हुई है. उसके परिवार ने सब कुछ करने के बाद भी अपने बेटे खो दिया. क्या ये हत्या नहीं है?