इस साल ‘जलियांवाला बाग नरसंहार’ के 100 साल हो जाएंगे. इस मौके पर ब्रिटिश संसद में भारत से औपचारिक रूप से मांफ़ी मांगने के प्रस्ताव पर बहस हो रही थी. लगभग सभी दल के सांसदों इस मांग के समर्थन में थे. बावजूद इसके ब्रिटेन सरकार ने मांफ़ी मांगने के प्रस्ताव से ख़ुद को किनारा लिया.
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वैस्टमिंस्टर हॉल में हैरो ईस्ट के सांसद बॉब ब्लैकमैन की ओर से शुरू की गई बहस के जवाब में एशिया-प्रशांत क्षेत्र के मामलों के मंत्री मार्क फ़ील्ड ने अतीत में हुई घटना पर संवेदनशीलता प्रकट की लेकिन मांफ़ी मांगने के सवाल पर कहा कि अतीत की घटनाओं पर माफ़ी मांगने को लेकर मेरा रवैया थोड़ा पारंपरिक है, किसी भी सरकार द्वारा पुरानी घटनाओं पर माफ़ी मांगने के आर्थिक पहलू भी हैं. इसके अलावा एक घटना के लिए माफ़ी मांगने पर अन्य घटनाओं के लिए ऐसा करने की मांग बढ़ेगी.
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फिर भी मार्क फ़ील्ड ने सदन में उठे मांग से सहानुभूति जताई और कहा अब इससे आगे बढ़ने की ज़रूरत है.
आपको बता दें कि करीब एक दर्जन सासंदों ने 13 अप्रैल, 1919 को निहत्थे भारतीयों पर जनरल डायर द्वारा करवाए गए, गोलीबारी के लिए ब्रिटिश सरकार से औपचारिक रूप से माफ़ी मांगने की पेशकश की थी. सांसद ब्लैकमैन ने कहा कि इससे इतिहास नहीं बदलेगा लेकिन एक पन्ना ज़रूर पलटा जा सकेगा.
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सरकार द्वारा माफ़ी न मांगने पर भारतीय मूल के वरिष्ठ सांसद विरेंद्र शर्मा ने नाराज़गी जताई. ब्रिटिश सांसद प्रीत गिल ने यहां तक कहा कि इस घटना को स्कूलों में पढ़ाया जाना चाहिए ताकी भावी पीढ़ियां अतीत को सही रौशनी में देख सकें और उससे सबक ले सकें.
आपको बता दें कि 2013 में जब तत्कालिन ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरून भारत आए थे, तब उन्हें जलियांवाला बाग हत्याकांड को ‘अंग्रेज़ी इतिहास का शर्मनाक अध्याय’ बताया था.
2017 लंदन के मेयर सादिक़ ख़ान ने भी अपने भारतीय प्रवास पर ब्रिटिश सरकार को औपचारिक रूप से मांफ़ी मांगने की बात कही थी.
News Update
बुधवार को ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा में ने हाउस ऑफ़ कॉमन्स में बोलते हुए जलियांवाला बाग नरसंहार पर कहा, ‘1919 में जलियांवाला बाग में जो दुर्घटना हुई, वो ब्रिटिश-इंडियन हिस्ट्री के ऊपर एक धब्बे की तरह है. हमारी रानी एलिज़ाबेथ द्वितीय ने 1997 के अपने भारत के दौरे में भी कहा था कि यह भारत के साथ हमारे इतिहास का एक दुखद उदाहरण है.’
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ब्रिटेन की प्रधानमंत्री ने अपने आगे के भाषण में इतिहास की उस दुर्घटना के ऊपर ‘गहरी संवेदना’ प्रकट की लेकिन उन्होंने भी औपचारिक माफ़ी के मुद्दे को दरकिनार कर दिया