Cafe Coffee Day History : किसी भी बिज़नेस को शुरू करने से ज़्यादा उसे बाज़ार में बनाए रखने में मेहनत लगती है. बिज़नेस किसी को आसमान की बुलंदियों पर पहुंचा सकता है, तो कर्ज़ तले दबाकर आत्महत्या करने पर भी मजबूर कर सकता है. कुछ ऐसा ही भारतीय कंपनी Cafe Coffee Day के साथ हुआ जब बढ़ते कर्ज़ के कारण CCD के मालिक वीजी सिद्धार्थ ने नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली थी. बहुतों को लगा था कि सिदार्थ की मौत के बाद कंपनी का अस्तित्व मिट जाएगा, लेकिन उनकी पत्नी ने ऐसा होने नहीं दिया. आइये, जानते हैं क्या है Cafe Coffee Day की शुरुआती कहानी और कैसे पत्नी ने कर्ज़ तले दबी कंपनी को उबारने का काम किया.
आइये, जानते हैं Cafe Coffee Day की अब तक की कहानी (Cafe Coffee Day History).
CCD बनने से पहले की कहानी
Cafe Coffee Day History : CCD एक भारतीय कंपनी है और इससे संस्थापक थे वीजी सिद्धार्थ. इन्होंने 1996 में इस कंपनी की नींव रखी थी. सिद्धार्थ के पिता का नाम था गंगैया हेगड़े, जिनका कर्नाटक के चिकमंगलूर में एक कॉफ़ी का बागान था. वीजी सिद्धार्थ अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद व्यवसाय करना चाहते थे. लेकिन, उनके पिता चाहते थे वो नौकरी करें. जब सिद्धार्थ नहीं मानें, तो पिता ने उन्हें क़रीब 7 लाख रुपए दिए, जिससे सिद्धार्थ ने ज़मीन ख़रीद ली थी.
डेढ़ करोड़ के साथ CCD की शुरुआत
कहते हैं कि 1992 के हर्षत मेहता स्टॉक घोटाले से पहले ही वीजी सिद्धार्थ ने अपना पैसा स्टॉक से निकाल लिया था. जो पैसा सिद्धार्थ ने स्टॉक से कमाया था, उससे उन्होंने कॉफी डे ग्लोबल लिमिटेड नाम की कंपनी शुरू की. वो ख़ुद एक कॉफ़ी उत्पादक थे, तो उन्होंने इस बिजनेस को बड़े स्तर पर ले जाने का सोचा. 1996 में डेढ़ करोड़ के निवेश के साथ CCD की शुरुआत की गई. इसका पहला आउटलेट 11 जुलाई 1996 में बेंगलुरु के Brigade Road के पास खुला.
25 रुपए की एक कप कॉफ़ी
माना जाता है कि शुरुआत (Cafe Coffee Day History) में 25 रुपए की एक कप कॉफ़ी सीसीडी में मिला करती थी. सीसीडी से युवा काफी आकर्षित हुए और उनमें कॉफ़ी का चस्का बढ़ने लगा. सीसीड़ी के आउटलेट जल्द ही अलग-अलग शहरों में खुलने लगे. चूंकि सीसीडी की कॉफ़ी उनके बागान से ही आया करती थी, तो लोग इस कारण भी यहां कॉफ़ी की चुस्की लेना पसंद करते थे. साथ ही इंटरनेट सेवा और बैठने की अच्छी व्यवस्था ने युवाओं व कपल्स को काफी आकर्षित किया.
आगे चलकर झेलना पड़ा नुकसान
साल 2000 तक वीजी सिद्धार्थ की कंपनी कॉफी डे इंटरनेशनल (CDEL) काफी मुनाफ़े में थी. वहीं, 2015 में कंपनी ने शेयर मार्केट में आने का सोचा. कंपनी ने शुरुआती समय (Cafe Coffee Day History) में अपने शेयर का दाम 228 रुपए रखा था, लेकिन लोगों ने 207 रुपए तक शेयर की कीमत तय की. इस वजह से कंपनी को काफ़ी नुक़सान हुआ. वहीं, विजी सिद्धार्थ ने अन्य बिजनेस में भी हाथ आज़माया जैसे रियल एस्टेट व लॉजिस्टिक्स. लेकिन, इनमें भी उन्हें भारी नुक़सान झेलना पड़ा.
आत्महत्या
किसी ने सोचा नहीं था कि विजी सिद्धार्थ आत्महत्या कर लेंगे. दरअसल, उनकी समस्या तब ज़्यादा बढ़ी जब Income Tax Department ने उनपर 700 करोड़ के टैक्स चोरी के आरोप में जांच करनी शुरू की. वहीं, बिजनेस को बढ़ाने के लिए सिद्धार्थ ने मार्केट से काफी कर्ज़ ले लिया था. कहते हैं कि 2019 तक कंपनी 6547 करोड़ रुपए के कर्ज़ तले डूब गई थी. कर्ज़ को कम करने के लिए सिद्धार्थ ने माइंडट्री नाम की IT कंपनी के 20.32 प्रतिशत शेयर बेच डाले, जिससे 3200 करोड़ का कर्ज़ कम हुआ. लेकिन, अभी भी 3 हज़ार 347 करोड़ का कर्ज़ बाकी था. इनकी टेंशन इस क़दर बढ़ी कि सिद्धार्थ ने 2019 में नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली.
पत्नी ने संभाली कंपनी की ज़िम्मेदारी
विजी सिद्धार्थ के मौत के बाद सभी को लग रहा था कि कंपनी का अस्तित्व अब मिट जाएगा. लेकिन, ऐसा हुआ नहीं. पत्नी मालविका हेगड़े ने कंपनी की बागडोर अपने हाथों में ले ली. वैसे बता दें कि मालविका हेगड़े कर्नाटक के पूर्व सीएम एस.एस कृष्णा की बेटी हैं. साल 1991 में उन्होंने विजी सिद्धार्थ से शादी की थी. कंपनी के भविष्य की सबसे बड़ी बाधा कर्ज़ था, तो मालविका ने कर्ज़ उतारने पर ज़ोर दिया. जानकारी के अनुसार, उन्होंने काफी कर्ज़ उतार दिया है और अब उन पर लगभग 1,731 करोड़ का कर्ज़ रह गया है.