एक नहर जिसको बनाने में 42 साल लगे. जिसका बजट 12 करोड़ रुपये से बढ़ते-बढ़ते 2,176 करोड़ रुपये तक पहुंच गया और वो उद्घाटन के बाद 24 घंटे भी नहीं टिक सकी, बह गई. 

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बुधवार को झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास ने हज़ारीबाग में नहर का उद्घाटन किया था, जो एक दिन के भीतर से कुछ जगहों से टूट गई. इसकी वजह से कई गांव जलमग्न हो गए. रिपोर्ट के अनुसार राज्य का सिंचाई विभाग इसके लिए चूहों के बिल को ज़िम्मेदार मान रहा है. 

शुक्रवार को राज्य सरकार का स्टेटमेंट सामने आया. शुरुआती जांच में पाया गया कि इस घटना के पीछे ‘चूहों के बिल’ की वजह से नहर का किनारा कई जगहों से कमज़ोर हो गया. 

इस घटना से राज्य सरकार की काफ़ी किरकिरी हो चुकी है. विपक्ष के आलोक दुबे ने दावा किया कि भाजपा सरकार दूसरे के कार्यों का श्रेय लेना और अधूरे प्रोजेक्ट का उद्घाटन करना जानती है. 

इस नहर को बनाने की शुरुआत 1978 में हुई थी. तब के राज्यपाल जगन्नाथ कौशल ने इसकी नींव रखी थी. तब इसके लिए 12 करोड़ रुपये का बजट रखा गया था. बाद के सालों में आती-जाती सरकारों में मतभेद रहा, राज्य का बंटवारा हुआ और ये प्रोजेक्ट अटका रहा. 

साल 2003 में अर्जुन मुंडा ने दोबारा नहर के काम को शुरू करवाया और शिलान्यास किया लेकिन काम की रफ़्तार रेंगती ही रही. 

2012 में मुंबई की एक कंपनी को इसे बनाने ठेका मिला, 404.17 किलोमिटर लंबी ये नहर 2019 में बन कर तैयार हुई और अगले दिन से ही इसकी मरम्मत शुरू हो गई.