फ़रवरी का महीना शुरू होते ही हवाओं में मोहब्बत और सांसों में इश्क़ की ख़ुशबू घुलने लगती है. ऐसा लगता है जैसे बाज़ार और दुकानें वैलेंटाइन डे का ही इंतज़ार कर रही हों. अगर आप सोचते हैं कि सिर्फ़ प्यार करने वाले ही इस महीने का इंतिज़ार कर रहे होते हैं, तो दोस्त आप अभी ग़लतफ़हमी में जी रहे हैं, क्योंकि कई लोग ऐसे भी होते हैं, जो इस महीने का इंतिज़ार इसलिए करते हैं कि वो इसका विरोध कर सकें.

अपने फ़ेसबुक अकाउंट पर आप ऐसे कई लोगों को पहले ही देख चुके होंगे, जो वैलेंटाइन डे को मातृ-पितृ दिवस मनाने को ले कर स्टेटस डाल रहे होंगे. ऐसा सिर्फ़ फ़ेसबुक तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सोशल मीडिया की बनावटी दुनिया से निकल कर ये कॉन्सेप्ट असल ज़िंदगी में भी अपने पैर पसार रहा है.

अब जैसे राजीव चौक मेट्रो स्टेशन पर लगे इस पोस्टर को ही देख लीजिये.

इस पोस्टर के ज़रिये लोगों से अपील की जा रही है कि वो वैलेंटाइन डे के दिन मातृ-पितृ दिवस के रूप में मना कर अपना प्रेम दिखाएं.

ये पोस्टर किसने लगाया ये तो नहीं पता, क्योंकि इस पर दी गई जानकारी भी झूठी है. ख़ैर जिसने भी इसे लगाया है भाई सभी धर्म के लोगों से मातृ-पितृ दिवस मनाने की बात कर रहा है.

इस पोस्टर को देख कर, तो लगता है कि भाई सूरज बड़जातया की फ़िल्में बहुत देखता है.