कुछ लोगों में यहां वहां थूकने की गंदी आदत होती है. ख़ासकर पान/गुटखा खाकर सड़कों और किसी कोने को गंदा करने वाले. इनकी वजह से रेलवे स्टेशन और ट्रेन्स भी गंदी नज़र आते हैं. ऐसा कोई कोना नहीं बचता जहां इन्होंने अपनी लाल पीक से भद्दी पेंटिंग न बनाई हो. लेकिन बहुत जल्द मुंबई के रेलवे स्टेशन और ट्रेन्स से आपको ऐसी भद्दी पेंटिंग दिखाई देनी बंद हो जाएंगी, क्योंकि इस समस्या से निपटने के लिए सेंट्रल रेलवे थूकने वाले बैग( Spittoons) का यूनीक आइडिया लेकर आई है. 

Spittoons ख़ास तरह के बैग हैं, जिन्हें पान/गुटखा खाने वाले और बीमार/बुज़ुर्ग लोग थूकने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. इन्हें ट्रायल के तौर पर नागपुर रेलवे स्टेशन पर एक वेंडिंग मशीन में लगाया गया है.  

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इस मशीन की मदद से लोग इन थैलों को 10-20 रुपये की मामूली क़ीमत चुका कर ख़रीद सकते हैं. इसे बनाने वाली कंपनी के अनुसार ये बैग ख़ुशबूदार हैं और जब भी आप इसमें थूकते या फिर उल्टी करते हैं तो ये उसे कुछ ही देर में ठोस बना देता है.

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ये बायोडिग्रेडबल हैं और इन्हें फिर से इस्तेमाल भी किया जा सकता है. रेलवे अधिकारियों का कहना है कि अगर नागपुर का रिस्पॉन्स अच्छा रहा तो बहुत जल्द इन्हें मुंबई के सभी स्टेशनों पर लगाया जाएगा. 

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इस बारे में बात करते हुए नागपुर रेलवे स्टेशन के एक अधिकारी ने कहा ‘सामान्य कचरे से तो आसानी से निपटा जा सकता है, लेकिन थूकने की समस्या बहुत बड़ी है, जिससे सफ़ाई कर्मचारी ही नहीं आम लोग भी परेशान होते हैं. यात्रा के दौरान यात्री इस थैले को कई बार इस्तेमाल कर सकते हैं. बीमार लोगों को बार-बार सीट से उठकर जाने की दिक़्क़त भी नहीं होगी. साथ ही रेल और रेल परिसर भी साफ़ रहेगा. कोरोना काल में तो हम सभी के लिए किसी वरदान से कम नहीं.’ 

खुले में थूकना वैसे भी दंडनीय अपराध है लेकिन लोग हैं कि मानते ही नहीं. हम आशा करते हैं कि ये बैग हमें यहां-वहां गंदगी फैलाने वाले इन लोगों से छुटकारा दिलवाने में मदद करेंगे. 

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