टाटा ग्रुप के बोर्डरूम में महिनों से घमासान मचा हुआ था. पूरी कहानी किसी ड्रामा से कम नहीं थी. अब ये ड्रामा ख़त्म होने के कगार पर है क्योंकि Tata Sons के चेयरमेन का नया नाम सामने आ गया है. वो शख़्स कोई बाहर का नहीं, बल्कि टाटा ग्रुप कs पुराने मुलाज़िम नटराजन चंद्रसेखरन हैं. नटराजन चंद्रसेखरन को टाटा ग्रुप के हेडक्वॉटर के भीतर ‘चंद्रा’ नाम से जाना जाता है.

चंद्रसेखरन के पास प्रबंधन से जुड़ी किसी प्रकार की डिग्री नहीं है, उन्होंने ये कौशल कठिन परिश्रम से हासिल किया है. चंद्रसेखरन का जन्म तमिलनाडु के एक किसान परिवार में हुआ था. चंद्रसेखरन के पिता एक वकील थे, लेकिन पिता के मरने के बाद उन्होंने वकालत छोड़ परिवार को संभाला. वो अपने बच्चों को इमानदारी और मेहनत का पाठ पढ़ाते थे. चंद्रसेखरन अपने भाईयों के साथ तीन किलोमिटर दूर सरकारी स्कूल में पैदल जाते थे.

दसवीं के बाद की पढ़ाई के लिए उन्होंने शहर का रुख किया, जहां उन्होने अग्रेंजी माध्यम से पढ़ाई की. विज्ञान में स्नातक करने के बाद वो गांव लौट गये. लेकिन चार महीने के भीतर ही वो समझ गये कि वो खेती के लिए नहीं बने है.उन्होंने फिर से पढ़ाई की शुरूआत की, इस बार मास्टर डिग्री के लिए कंप्यूटर विषय को चुना.

 अखिरी साल में वो टी.सी.एस के एक प्रोजेक्ट के साथ जुड़ गए. इसके बाद उन्होंने कभी मुड़ के नहीं देखा. चंद्रसेखरन लगातार तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते गए. 2007 में चंद्रसेखरन को चीफ़ ऑपरेटिंग ऑफिसर का पद सौंपा गया. 2009 में उन्होंने अपने मार्गदर्शक एस. रामादोरइ के जाने के बाद उनके पद को संभाला, वो तब 46 साल के थे और टाटा ग्रुप के सबसे कम उम्र के सी.ई.ओ. उनके कार्यकाल में टी.सी.एस तीन गुना बड़ा हो गया.

इस स्मॉल टाउन ब्यॉय को खेल का शौक भी है, वो अक्सर बातचीत के दौरान क्रिकेट का जि़क्र करते रहते हैं और हमेशा मैराथन दौड़ में हिस्सा लेते हैं.