फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान घायलों का इलाज करने वाले मुस्तफ़ाबाद के एक निजी अस्पताल (अल-हिंद अस्पताल) के मालिक डॉक्टर मोहम्मद एहतेशाम अनवर को आरोपी बनाया गया है.
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हाईकोर्ट ने 25 फरवरी की आधी रात में मुस्तफ़ाबाद में स्थित इसी अस्पताल में फंसे पीड़ितों को दंगाइयों से बचाकर बड़े सरकारी अस्पताल तक भेजने के लिए सुनवाई की थी.
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चिट्ठी में डॉक्टर ने लिखा कि 24 फरवरी को लगभग 1:30 से 2:00 बजे जब खाना खाने के बाद आराम कर रहे थे, तो उन्हें अस्पताल के स्टाफ़ का फोन आया जिन्होंने उन्हें बताया कि वह अस्पताल आ जाएं यहां कुछ घायल लोग हैं जिनका ख़ून बह रहा है.
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डॉ. अनवर ने लिखा कि कुछ लोग आए और उन्हें बताया कि एक परिवार बिना पोस्टमार्टम के शव का अंतिम संस्कार करने जा रहे हैं, डॉक्टर ने उन्हें समझाया और साथ ही 102 और 112 पर कॉल किया लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला तो किसी तरह एक एम्बुलेंस का इंतेज़ाम शव को पोस्ट-मार्टम के लिए GTB अस्पताल पहुंचाया, मगर हालत ख़राब होने के चलते रात वहीं बितानी पड़ी.
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(ख़त आउटलुक से)
अगले दिन यानी 25 फरवरी को अस्पताल में घायल लोग दिन भर आते रहे, कई ऐसे लोग आए, जिन्हें गोलियां, पेट्रोल बम, तलवार और एसिड हमले आदि के कारण गंभीर चोटें आईं साथ ही दो शव भी लाये गए. मैंने और घायलों के परिजनों ने 112 पर कॉल किया, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला.
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डॉ. अनवर आगे बताते हैं जस्टिस मुरलीधर ने दिल्ली पुलिस को आदेश दिया कि घायलों को बड़े अस्पताल में ले जाने के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था करें लेकिन एम्बुलेंस के साथ आने वाले पुलिसकर्मी बहुत नाराज़ थे और कहा कि मुझे इस तरह न्यायाधीश से बात करके सच्चाई नहीं बतानी चाहिए थी. अनवर ने आरोप लगाया कि इसके बाद उन्हें कई बार दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा और स्पेशल सेल के अधिकारियों द्वारा बुलाया गया, जिन्होंने धमकी दी और कहा, “जब से आपने न्यायाधीश से बात की,पूरा प्लान फ़ेल हो गया. आपको कुछ काम करके भरपाई करनी होगी, जो समय आने पर हम आपको बताएंगे”
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(ख़त आउटलुक से)
डॉ. अनवर ने पूछा कि वह काम क्या होगा तो पुलिस अधिकारियों ने बताया कि यह एक सही या ग़लत काम होगा, लेकिन आपको यह करना होगा, या फिर हम आपको UAPA के तहत बुक करेंगे और आपको कम से कम बीस साल जेल में रहना होगा और आपका क्लिनिक-परिवार सब कुछ बर्बाद हो जाएगा.