हमारे सामने, इंसानों के वहशीपन की हर सीमा पार करती ख़बरें आती हैं. इंसानों और जानवरों के बीच चल रहा संघर्ष नया नहीं है. हम इंसानों ने जानवरों से उनका घर छीनकर उन्हें पिंजरों में क़ैद किया, उन्हें अपने फ़ायदे और मज़े के लिए मौत के घाट उतारा और आज भी वही कर रहे हैं.

The New Indian Express की रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ के ज़िला अंबिकापुर के खारसुरा गांव में कुछ ग्रामीणों ने भालु के शावकों का ख़याल रखने की ज़िम्मेदारी उठाई है. जब मां भालु जंगलों में होती है तो गांववाले दोनों शावकों को दूध पिलाते हैं और उनका ध्यान रखते हैं.

एक मादा भालु ने खारसुरा गांव के पास खेतों में 2 शावकों को जन्म दिया. ग्रामीणों ने फ़ोरेस्ट डिपार्टमेंट स्टाफ़ को इत्तिला किया. स्टाफ़ ने पशुओं के डॉक्टर और वाइल्डलाइफ़ एक्सपर्ट्स से बात की.

भालू को ज़रूर ये लगा होगा कि ये जगह उसके शावकों के लिए सुरक्षित है. अगर ऐसा नहीं होता तो मां भालू उन्हें जंगल में ले जाती. हो सकता है कुछ हफ़्तों बाद जब शावक थोड़े बड़े हो जाये तो ये सब जंगल लौट जाए.
-प्रभात दूबे, वाइल्डलाइफ़ एक्सपर्ट

चिकित्सक डॉ. सी.के.मिश्रा ने दोनों शावकों की जांच की और उन्हें स्वस्थ पाया. डॉ. मिश्रा ने शावकों को 2 बार दूध पिलाने और बढ़ती ठंड को देखते हुए उनकी सुरक्षा करने की हिदायत दी. डॉ. मिश्रा ने ये भी कहा कि लोगों को शावकों के पास भीड़ नहीं लगानी चाहिए.