कभी-कभी एक कॉल आपकी ज़िंदगी बदल देती है. जैसे चेन्नई के रहने वाले 27 साल के हरि कृष्णन की बदल गई. कल तक हरि अपनी ज़िंदगी जीने में व्यस्त था. आज कई लोगों की लाइफ़ संवारने में व्यस्त है. इस शख़्स की ज़िंदगी में आये इस परिवर्तन की वजह अनाथालय से आया एक फ़ोनकॉल है.

दरअसल, लॉकडाउन के दौरान अनाथालय से हरि के पास एक कॉल आई. इसके बाद वो राहत सामग्री देने अनाथालय पहुंचा. वहां भूख से तड़पते बेचैन लोगों को देख कर हरि एकदम टूट गया. उस एक लम्हे ने हरि को सामाजिक कार्य करने के लिये प्रेरित किया और अब वो रोज़ान क़रीब 254 परिवारों को भोजन वितरित करता है.

The New Indian Express से बातचीत से दौरान हरि ने बताया कि अनाथालय के दौरे के दौरे के दौरान उसने कई लोगों को भूख से विचलित देखा. जिसके बाद उसने लोगों की भूख मिटाने का फ़ैसला किया. हांलाकि, उस दौरान उसने ये नहीं सोचा था कि उसका सेवा कार्य लंबा चलेगा. 27 वर्षीय हरि एक ऑनलाइन पोर्टल में बतौर मैनेजर काम करते हैं और उन्होंने पिछले पांच सालों में 2.4 लाख रुपये कि सेविंग्स की थी. ये पैसे उन्होंने मजबूर लोगों की मदद में लगाये, जिसने ने उन्हें बेइंतिहा ख़ुशी दी.

सामाजिक कार्य के दौरान हरि ने महसूस किया कि मदद की सबसे ज़्यादा ज़रूरत विकलांग लोगों को है. इसीलिये उन्होंने सबसे पहले विकलांग लोगों की मदद का भार उठाया. हरि कहते हैं कि पहले वो सिर्फ़ अनाथालय तक सीमित थे, पर अब घर-घर जाकर लोगों को भोजन वितरित करते हैं. उनके पास राज्यभर से मदद के लिये कॉल आते हैं. सर्कल बढ़ा, तो उनके लिये चुनौतियां भी बढ़ी. पर वो सब कुछ आसानी से मैनेज कर रहे हैं.

हरि की इस पहल की बदौतल अब तक 133 परिवारों को गोद लिया जा चुका है. इसके अलावा कई लोगों ने मदद का हाथ आगे बढ़ाया है. दूसरों की मदद में ही अब हरि की ख़ुशी है और यही उनकी ज़िंदगी का मकसद.