इंसानियत का पहला उसूल है ज़िंदगी और मौत से जूझ रहे अपने दुश्मन को भी नई ज़िंदगी देना.
वॉर का एक नियम तो ये भी कहता है कि अगर दुश्मन घायल पड़ा हो, तो पहले उसकी सहायता करनी चाहिए. दूसरी ओर युद्ध या फिर किसी आतंकी कार्रवाई के दौरान ऐसा कम ही देखने को मिलता है.
Chhattisgarh: District Reserve Guard (DRG) personnel carry injured naxal in a cot in Dantewada for about 12 km to reach hospital. He was found by DRG personnel during a search operation. The naxal is a member of Naxals’ Malangir area committee&had reward of Rs.5 lakhs on his head pic.twitter.com/JRWGBIO6w1
— ANI (@ANI) September 2, 2019
लेकिन छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा में सुरक्षाबलों ने कुछ ऐसा कर दिखाया जो कम ही देखने को मिलता है. यहां सर्च ऑपरेशन के दौरान जवानों ने एक घायल पड़े हुए खूंखार नक्सली को 12 किलोमीटर तक जंगलों में चलकर हॉस्पिटल तक पहुंचाया.
दरअसल, छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा ज़िले में सुकमा बॉर्डर के पास डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के जवानों को यहां के नागलगुड़ा की पहाड़ियों में नक्सलियों की मौजूदगी की जानकारी मिली थी. इसके बाद जवान सर्च ऑपरेशन पर निकले हुए थे. इस दौरान जवानों को जंगल में बुरी तरह से घायल एक नक्सली मिला.
इसके बाद डीआरजी के जवानों ने इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए घायल को खटिया पर बैठाया और पैदल ही लगभग 12 किलोमीटर दूर हॉस्पिटल लेकर गए. जवानों ने नक्सली को चारपाई में लिटाकर घने जंगलों, नदी-नालो और पहाड़ों जैसी बाधाओं को पार करते हुए ज़िला अस्पताल तक पहुंचाया. घायल नक्सली का फिलहाल इलाज चल रहा है.
बताया जा रहा है कि 5 लाख का ये इनामी नक्सली पिछले 11 सालों से कई हिंसात्मक घटनाओं में शामिल था. ‘मालनगिरि एरिया समिति’ का सदस्य ये नक्सली जवानों के लिए खोदे गए गड्ढे में जा गिरा था. जवानों ने इस गड्ढे में लोहे, कांच आदि भरकर ऊपर से सूखे पत्तों और घास से ढंक दिया था. नक्सली इस गड्ढे में जा गिरा था और पैर चोटिल कर बैठा. जिसे उसके साथी घायल अवस्था में छोड़कर भाग गए थे.