जब भी हम फ़ैशन शो की बात करते हैं तो मेट्रो सिटी, बड़े डिज़ाइनर और बिग ब्रैंड्स की तस्वीर जेहन में बनती हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे फ़ैशन शो के बारे में बताएंगे जो एक ख़ास समुदाय के पारंपरिक परिधान और आभूषणों पर आधारित था. यही नहीं, रैंप पर वॉक करने वाली कोई मॉडल्स नहीं, बल्कि आदिवासी समुदाय और थर्ड जेंडर के लोग थे.
बात हो रही हाल ही में छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में हुए चित्रकोट महोत्सव की. इसमें बस्तर के पारंपरिक परिधानों और आभूषणों को पहनकर आदिवासी समुदाय के लोगों ने रैंप वॉक भी किया. इसका मकसद आदिवासी समुदाय और थर्ड जेंडर(किन्नरों) को बाहर की दुनिया से जोड़ उसमें रचने-बसने का मौक़ा देना था.
इस ट्राइबल फ़ैशन शो में बस्तर की फ़ेमस कोसा साड़ी, पाटा साड़ी और दूसरे सूती वस्त्रों की प्रदर्शनी की गई. इसमें 7-25 साल के लोगों ने हिस्सा लिया. बस्तर के कलेक्टर रजत बंसल जी ने इस बारे में बात करते हुए कहा– ‘हम बस्तर की सांस्कृतिक विरासत और परिधानों को लुप्त होने नहीं दे सकते. यहां कि कोसा और पाटा सिल्क साड़ी बेस्ट होती हैं. बस्तर फ़ैशन शो एक इवेंट नहीं था, बल्कि इलाके के कपड़ा उद्योग को नई पहचान दिलाने की पहल थी. साथ इससे आदिवासी समुदाय में भी कुछ दिखाने का आत्मविश्वास पैदा होगा. इस शो से बस्तर की संस्कृति की झलक पूरी दुनिया को देखने को मिली है.’
इस शो का उद्देश्य स्थानीय कला, स्टाइल और ग्लैमर को बढ़ावा देना था. फ़ैशन शो में बस्तर की मुरिया और मारिया आदिवासी समुदाय की महिलाओं ने हिस्सा लिया था. उन्होंने इस दौरान पारंपरिक परिधान और बांस से बने आभूषण भी पहने थे. तीन किन्नरों ने भी इसमें भाग लिया.
इसमें हिस्सा लेने वाली ट्रांसजेंडर रिया सिंह परिहार ने बताया कि इस तरह के शो में हिस्सा लेकर उन्हें भी मुख्यधारा में शामिल होने का मौक़ा मिला है. वो भी चाहते हैं कि उन्हें भी बराबर का सम्मान मिले.
इस तरह के फ़ैशन शो हर राज्य में होने चाहिए ताकि देश की संस्कृति और दूसरे समुदाय के लोगों को भी आगे बढ़ने का मौक़ा मिले.