भारत के चीफ़ जस्टिस हैं रंजन गोगोई। रंजन गोगोई पर सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिलाकर्मी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. इस आरोप के बाद जस्टिस गोगोई का भी बयान आया है. जिसमें उन्होंने सारे आरोपों को ख़ारिज किया है. 

Hindustan Times

ये आरोप किसने लगाए हैं और ये क्या हैं, ये बताने के लिए पहले हम आपको दोनों Version पढ़ा रहे हैं: 

महिला का Version: 

35 वर्षीय महिला सुप्रीम कोर्ट में बतौर जूनियर कोर्ट असिस्टेंट के तौर पर काम रही थी. महिला का आरोप है कि जस्टिस गोगोई ने अपने घर पर उसके साथ बदसुलूकी की. ये घटना 11 अक्टूबर, 2018 की बतायी जा रही है. महिला के अनुसार, न कहने पर उसे रेजिडेंशियल ऑफ़िस से जाने को कहा गया और कुछ दिनों बाद उसे नौकरी से निकाल दिया गया. निकाले जाने के लेटर में एक कारण उसका बिन बताये एक दिन की छुट्टी लेने की बात भी कही गयी है. महिला का आरोप है कि इसके बाद उसके पति और देवर, जो दोनों दिल्ली पुलिस में तैनात हैं, उन्हें नौकरी से ऐसे मामले पर सस्पेंड किया गया, जो पहले ही आपस में सुलझ गया था. महिला के ऊपर एक पुलिस केस भी है, जिसमें उसने कथित तौर पर एक आदमी को सुप्रीम कोर्ट में नौकरी दिलवाने का वादा किया था और इसके बदले 50 हज़ार रुपये लिए थे लेकिन नौकरी नहीं दिलवाई। पुलिस इस मामले की पूछताछ के लिए उसे थाने ले गयी और उसे साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया गया, ये भी आरोप है. महिला ने ये एफ़िडेविट कोर्ट में डाला है और इस शिकायत पर सुप्रीम कोर्ट की स्पेशल हियरिंग चल रही है. 

जस्टिस गोगोई ने क्या कहा है? 

जस्टिस गोगोई ने इस पूरे मामले को ख़ारिज करते हुए अपने ऊपर लगे यौन उत्पीड़न के इल्ज़ाम का खंडन किया है. गोगोई के हिसाब से, उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया और उन्हें इसलिए लपेटा जा रहा है क्योंकि आने वाले कुछ दिनों में उन्हें कुछ ज़रूरी मामलों पर जजमेंट देना है. गोगोई के शब्दों में, ’20 साल तक निस्वार्थ भाव से सेवा करने पर मुझे ये ईनाम दिया जा रहा है? मेरे ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के कोई मामले तो मिलेंगे नहीं, इसलिए मुझे इस झूठे केस में लपेटा जा रहा है. मेरे बैंक अकाउंट में इतने सालों में सिर्फ़ 6.80 लाख रुपये हैं, मेरे चपरासी के पास भी मुझसे ज़्यादा पैसा है.’ 

इस मामले की सुनवाई को निष्पक्ष रखने के लिए इसकी सुनवाई और इसका फ़ैसला गोगोई के अलावा बाक़ी दो जज की बेंच देगी. ये बात सुप्रीम कोर्ट की तरफ़ से साफ़ की जा चुकी है. 

मामले की सुनवाई तक मीडिया से इस मामले को ज़िम्मेदारी के साथ रिपोर्ट करने की बात कही गयी है.