रेड लाइट पर रुकते ही आपकी गाड़ी की तरफ़ ऐसे बच्चों की फ़ौज दौड़ पड़ती है, जिनके चेहरों पर धूल और बदन पर कपड़े फटे हुए दिखाई देते हैं. रेड लाइट पर खड़े लोगों में से शायद ही को कोई ऐसा होता है, जो इन बच्चों को कुछ खाने को या कुछ पैसे देता है. मेरठ में भी कुछ ऐसे ही बच्चे रेड लाइट से ले कर मंदिर और सड़कों पर घूमते दिखाई देते हैं. इन्हीं बच्चों को ले कर गांव कनेक्शन ने अपनी स्पेशल रिपोर्ट में खुलासा किया है कि इन बच्चों को नशे की लत लगा कर भीख मांगने के लिए मजबूर किया जाता है.

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अपनी रिपोर्ट में गांव कनेक्शन कहता है कि पिछले कुछ सालों के दौरान मेरठ में भीख मांगने वाले बच्चों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है, जिसके पीछे प्रदेश में एक बड़ा माफ़िया काम कर रहा है. ये माफ़िया बच्चों को बहला-फुसला कर मानव तस्करी के ज़रिये यहां लाता है और इस धंधे में डाल देता है.

10 साल के एक बच्चे ने इस रिपोर्ट में बताया कि ‘वो मध्य प्रदेश के मुरैना का रहने वाला है. घर की स्थिति सही नहीं होने की वजह से वो घर छोड़ कर दिल्ली आ गया था, जहां से दो युवक उसे मेरठ ले आए और नशे की आदत डाल कर भीख मांगने के लिए प्रताड़ित करने लगे. बच्चों को मिले भीख के पैसों को ये लोग मार-पीट कर उनसे छीन लेते हैं.

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चाइल्ड लाइन संस्था की अध्य्क्ष अनीता राणा का कहना है कि ‘पहले चाइल्ड ट्रैफ़िकिंग का धंधा सिर्फ़ बड़े शहरों तक सीमित था, पर मेरठ भी इसकी जद में आ गया है. चाइल्ड होम भी बच्चों का ढंग से ध्यान नहीं रख रहे, जिसकी वजह से बच्चे नशे का शिकार हो कर गलत हाथों में पड़ रहे हैं.’

इस रिपोर्ट ने जिस तरह का खुलासा किया है, वो वाकई चिंताजनक है. नशे और माफ़ियाओं के हाथों में पड़ने से न सिर्फ़ बच्चे, बल्कि देश का भविष्य भी अंधकार की तरफ़ जा रहा है.