कोविड- 19 पैंडमिक की वजह से हम सब की ज़िन्दगियां बदल गई हैं. वर्क फ़्रॉम होम और ऑनलाइन क्लासेज़ का दौर चल रहा है. इन दोनों के लिए ही जो सबसे ज़्यादा ज़रूरी है वो है सही इंटरनेट कनेक्शन. दुख की बात है कि जियो के देश में भी बहुत से लोगों के पास सही स्पीड का इंटरनेट कनेक्शन नहीं है.
इंटरनेट कनेक्शन न होने की वजह से कई बच्चे ऑनलाइन क्लास अटेंड नहीं कर पा रहे हैं. पहाड़ के ऊपर, छत पर, पेड़ पर बैठ कर क्लास करने की बच्चों की तस्वीरें देखकर बच्चों के लिए वाह वाह तो ज़रूर निकलता है पर ये सरकार पर भी सवाल करता है.
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NDTV की एक रिपोर्ट के अनुसार, 200 बच्चे रोज़ाना 50 किलोमीटर चलने को मजबूर हैं. महाराष्ट्र के तटवर्ती गांव के इन बच्चों पर पहले लॉकडाउन की मार पड़ी और उसके बाद तूफ़ान निसर्ग की.
पैंडमिक और प्राकृतिक आपदा की वजह से जून की शुरुआत से ही इन बच्चों को इंटरनेट की दिक्कतें आ रही थीं. हालात क़ाबू में आने के 1 महीने बाद भी इंटरनेट की हालत नहीं सुधरी.
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परेशान होकर बच्चों ने एनसीपीसीआर (नेशनल कमिशन फ़ॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ चाइल्ड राइट्स) को चिट्ठी लिखी. एनसीपीसीआर ने बच्चों को आश्वासन दिया कि जितनी जल्दी संभव होगा बच्चों तक इंटरनेट कनेक्शन पहुंचाया जाएगा.
ज़िलाधिकारी और एनसीपीसीआर की कोशिशों के बाद उस क्षेत्र में एक सेलुलर नेटवर्क ने कनेक्टिविटी सही की और बाक़ी सेलुलर नेटवर्क्स ने कनेक्टिविटी सही करने का आश्वासन दिया.
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