पिछले कई सालों से चीन को दुनिया की उभरती हुई महाशक्ति के रूप में देखा जा रहा है. खेल से लेकर आर्थिक विकास के मामले में चीन ने कई देशों को पछाड़ने में कामयाबी पाई है, लेकिन हाल ही में चीन में हुए स्प्रिंग फेस्टिवल के दौरान लिपस्टिकों की संख्या में भारी बढ़ोतरी चीन के विकास के बारे में कुछ और ही कहानी कह रही है.

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चीन के अखबार के मुताबिक, इस साल लिपस्टिक की बिक्री में 116 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जो पिछले साल के 92 प्रतिशत से भी ज्यादा है. इन खरीददारों में 56 प्रतिशत वो लोग थे जो 90 के दशक में पैदा हुए थे, वहीं 30 प्रतिशत जनसंख्या उन लोगो की थी जो 80 के दशक में पैदा हुए थे.

लेकिन इन आंकड़ों के आखिर मायने क्या हैं? मायने आंकड़ों के नहीं, बल्कि खरीददारी के तरीकों के हैं. दरअसल, पिछले कुछ समय से चीन के लोगों का खरीददारी का तरीका उनके देश की अर्थव्यवस्था के बारे में काफी कुछ बयान कर रहा है और अर्थशास्त्रियों ने इसे एक इफेक्ट के तौर पर शामिल किया है.

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इस इफेक्ट को अर्थशास्त्रियों ने ‘दि लिपस्टिक इफेक्ट’ करार दिया है. धीमी गति से होते विकास या आर्थिक मंदी के दौर में लोग महंगे सामानों को खरीदने के बजाए, सस्ते सामानों पर टूट पड़ते हैं. यही कारण है कि ऐसे दौर में कई बार लिपस्टिक, वाइन, चॉकलेट, कॉस्मेटिक्स जैसी चीजों की बिक्री में बेतहाशा बढ़ोतरी देखने को मिलती है.

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ऐसे समय में सस्ती और किफायती चीज़ों की बिक्री में बढ़ोतरी होती है. वहीं महंगे सामानों को लेकर लोग परहेज करने लगते हैं, जिससे इकोनॉमी पर कुछ दबाव ज़रूर पड़ता है. इस इफेक्ट के चलते चीन में मेकअप और कॉस्मेटिक सेल्स में भी काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है. चीन के कुछ क्षेत्रों में मर्द भी अपने लुक्स को लेकर काफी सजग हो गए हैं, यही कारण है कि पुरुषों से जुड़े ग्रूमिंग और फैशन प्रोड्क्टस की भी चांदी हुई है.

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दुनिया की जानी-मानी पत्रिका फोर्ब्स का कहना है कि 2016 में भी चीन की ग्रोथ को रफ़्तार सरकार के निवेश की वजह से मिली थी, जबकि आमतौर पर विकास, जनता के खर्च करने के तरीकों से भी निर्धारित होता है. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि चीन की अर्थव्यवस्था कुछ मुश्किलों का सामना जरूर कर रही है.

चूंकि चीन के कई शहरों की हवा भी दिल्ली जितनी ही प्रदूषित है, ऐसे में यहां एयर क्लीनर्स की सेल में बढ़ोतरी कोई आश्चर्य वाली बात नहीं थी, लेकिन 256 प्रतिशत की हैरतअंगेज बढ़ोतरी साबित करती है कि चीन में इस समय  ‘दि लिपस्टिक इफेक्ट’ अपने पूरे शबाब पर है. दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार बीजिंग इन एयर क्लीनर्स को बेचने के मामले में सबसे ऊपर है, वहीं दूसरे नंबर पर सिचुआन है. हालांकि, यहां इन एयर क्लीनर्स की बिक्री बीजिंग के मुकाबले चार गुना कम है.

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इसके अलावा चीन के कई गांवों में भी स्मार्ट प्रोड्क्टस जैसे स्मार्ट घड़ी, स्मार्ट कैमरे, स्मार्ट कलाई पर बांधने वाले बैंड्स और स्मार्टफोन जैसे कई उत्पादों में बढ़ोतरी देखने को मिली है. इन क्षेत्रों में इन प्रोड्क्टस के मामले में तीस प्रतिशत का उछाल देखा गया है.

ये दिलचस्प है कि कैसे सिर्फ़ लोगों के खर्च करने के तौर तरीकों की मदद से आप किसी भी शहर या देश के समाज और आर्थिक हालातों के बारे में एक बेहतर अंदाज़ा लगा सकते हैं. चीन में ‘दि लिपस्टिक इफेक्ट’ यही साबित करता है कि फिलहाल तो वहां पर विकास की रफ़्तार थोड़ी धीमी पड़ गई है.