भारत-चीन के बीच पिछले 4 महीनों से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सीमा विवाद को लेकर बातचीत जारी है. सीमा पर जारी तनाव को कम करने और सेना को पीछे हटाने को लेकर भारत-चीन के बीच मंगलवार को कोर कमांडर स्तर की तीसरे दौर की बैठक हुई. 

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सरकारी सूत्रों मुताबिक़, भारतीय प्रतिनिधि मंडल ने साफ़ तौर पर कह दिया है कि लद्दाख क्षेत्र में चीन की नई सीमा रेखा भारत को मंज़ूर नहीं है. चीन को LAC पर तनाव से पूर्व की स्थिति बहाल करनी होगी और गलवन घाटी, पैंगोंग त्सो व अन्य क्षेत्रों से अपने सैनिकों को तत्काल पीछे हटाना होगा. 

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इस बीच चीनी सैनिकों ने LAC के पास की विवादित भूमि पर अपना दावा पेश करते हुए बड़े-बड़े अक्षरों में ‘चीन’ लिखा है. चीनी सेना ने इस ज़मीन ख़ुद का बताया है इसके लिए उन्होंने बाक़ायदा एक नक़्शा भी पेश किया है. सेटेलाइट तस्वीरों से पता चल रहा है कि, चीन की सेना ने विवादित सीमा पर क़रीब 180 झोपड़ियों का निर्माण भी किया है. 

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बताया जा रहा है कि ये इलाक़ा ‘पैंगोंग झील’ के किनारे पर स्थित है. भारत-चीन के बीच ‘गलवान घाटी’ में हुए ख़ूनी संघर्ष वाली जगह से ये झील’ क़रीब 75 मील दूर स्थित है. पैंगोंग झील 14 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है. इस झील का कुछ हिस्सा भारत तो कुछ चीन के पास है.  

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सेटेलाइट तस्वीरों में फ़िंगर 1 से 8 तक चिह्नित किया गया है, जिस पर भारत अपना दावा करता आया है. चीन भी इस क्षेत्र पर अपना दावा करता है. फ़िंगर 4 के पास भारत का बॉर्डर है जबकि फ़िंगर 8 के पास चीन का बॉर्डर, लेकिन चीन फ़िंगर 4 तक यानि कि भारत के बॉर्डर तक ख़ुद की सीमा होने का दावा करता है.  

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चीन पिछले कई महीनों से अपनी सीमा से बाहर निकलकर इस इलाक़े में निर्माण कर कर रहा है. कई जगहों पर तो उसने अपने झंडे भी फ़हरा दिए हैं. चीनी सेना ने ‘पेंगोंग झील’ के तट के आगे भी अपना एक सैन्य बेस बनाया है. गालवान घाटी के बाद अब इस इलाक़े में भारत-चीन की सेनाओं के तालमेल ठीक नज़र नहीं आ रहा है.